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31 अक्टूबर 2018

जाने लिंक्ड इन के बारे में।

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लिंक्डइन 
नमस्कार मित्रों, आपका स्वागत है यहाँ। लिंक्ड इन के बारे में अधिकतर लोग नही जानते की आखिर ये क्या है, क्योंकि लोगों को फेसबुक से ही फुर्सत नहीं, आज जानेंगे इस छोटे से लेख में लिंक्ड इन के बारे में। 

लिंक्ड इन एक व्यवसाय उन्मुख सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट है, जिसे दिसम्बर 2002 को शुरू किया गया। मुख्य रूप से यह पेशेवर नेटवर्किंग के उद्देश्य से बनायी गयी है। 2015 तक इस साईट का सम्पूर्ण राजस्व नियोक्ताओं एवं बिक्री पेशेवरों को जानकारी बेचने से प्राप्त होता है। इसके उपयोगकर्ता पेशेवर प्रोफाइल तैयार करते हैं जिससे दुसरी साईट के सदस्य उनके व्यापार पृष्ठ भूमि, कार्यविशेषता समूह, या संगठन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। एक बार उपयोगकर्ता अपनी प्रोफाइल बनाने के बाद दुसरे उपयोगकर्ता को भी अपने नेटवर्क में जोड़ सकता है।

प्रोफाइल में स्टेट्स की सुविधा उपलब्ध होती है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता के नेटवर्क से जुड़े लोग यह जान सकते हैं की उपयोगकर्ता किस विषय पर कार्य कर रहा है तथा कब यात्रा कर रहा होगा तथा जरूरत अनुसार सुझाव देना शामिल होते हैं। इसमें उनके लिए भी सुविधा होती है जो इसके सदस्य नहीं है वह प्रोफाइल के हिस्से को देखने की स्वीकृति भी प्रदान कर सकता है।

इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं है :

* सम्पर्क में रखे : जो व्यक्ति बार-बार नौकरी बदलते हैं, लिंक्ड इन ऐसे उपयोगकर्ताओं को उन पेशेवर नेटवर्क से सम्पर्क में रहने तथा उनके कार्यों को अपडेट देने तथा सम्पर्क सूत्रों को प्रदान करता है।

* मदद लेना : उपयोगकर्ता के नेटवर्क जब किसी व्यापारिक समस्या का हल नहीं निकाल सकते, तब लिंक्ड इन का टूल "आंसर एंड ग्रुप्स" उपयोगकर्ता को विश्वास पात्र एक्सपर्ट से मिलाता है।

* नौकरी ढूँढना : लिंक्ड इन उपयोगकर्ताओं को हजारों नौकरियों की जानकारी देना एवं उनके लिए एप्लीकेशन फॉर्म उपलब्ध करवाने का कार्य करता है। यह एप्लीकेशन और यूजर की प्रोफाइल सीधे नियोक्ता तक पहुंच जाती है।

* नए स्टाफ का अपॉइंटमेंट : कम्पनी के मनेजर लिंक्ड इन पर जाकर अपने कम्पनी के लिए सही कैंडीडेट चुन सकते हैं जिनके पास तयशुदा स्किल एवं एक्सपीरियंस हो। 

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26 अक्टूबर 2018

इंटरनेट और इंट्रानेट क्या है? इनमे क्या अंतर है?

 What is internet and intranet? And what's the difference between them?

What is internet and intranet?

नमस्कार मित्रों, हम सभी इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इंटरनेट किसे कहते हैं? और आपने इंट्रानेट नाम भी सुना होगा, दोनों में अंतर भी बहुत है, आज इन्हीं दो विषयों पर संक्षेप में बताऊंगा।


इंटरनेट:

इंटरनेट सुचना संप्रेषण (Information Communication) का एक वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क (ऐसे कंप्यूटर जो आपस में कनेक्टेड है) है। यह उपयोगकर्ता को सुचना आदान-प्रदान करने का मंच प्रदान करता है। इंटरनेट में संचार के लिए विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे डाटा ट्रांसफर में उद्देश्यपरकता को बनाए रखने में मदद मिलती है। इन कंप्यूटरों में सरकारी, विश्वविद्यालय, कम्पनीज एवं लोगों के व्यक्तिगत कंप्यूटर शामिल है। ज्यादातर इंटरनेट सेवा क्लाइंट/सर्वर मॉडल पर कार्य करती है। जब कोई कंप्यूटर फ़ाइल रिसीव कर रहा होता है तो वह क्लाइंट कहलाता है तथा जब वह फ़ाइल सेंड कर रहा होता है तो वह सर्वर बन जाता है। इंटरनेट पर एक्सेस प्राप्त करने के लिए उस क्षेत्र में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के साथ एकाउंट खोलना होता है।

इंट्रानेट:

इंट्रानेट एक निजी नेटवर्क होता है जो केवल उस संगठन के कर्मचारियों के लिए ही सुलभ होता है। आमतौर पर संगठन के आंतरिक आईटी सिस्टम से जानकारे और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला संगठन के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होती है एवं ये इंटरनेट से आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होता है। एक इंट्रानेट वेबसाइट किसी भी अन्य वेबसाइटों की तरह काम करते हैं, लेकिन एक इंट्रानेट के आसपास के फ़ायरवॉल अनाधिकृत उपयोग को बंद कर देता है।

इंटरनेट बनाम इंट्रानेट:

इंटरनेट वैश्विक (Global) वर्ल्ड वाइड वेब है जबकि इंट्रानेट एक कम्पनी का निजी इंटरनेट है जिसे सिर्फ कम्पनी के अंदर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दोनों TCP/IP Protocol को उपयोग में लेते हैं साथ ही में ई मेल और अन्य वर्ल्ड वाइड वेब मानक इस्तेमाल करते हैं। दोनों में मुख्य फर्क यह है कि इंट्रानेट का यूजर इंटरनेट पर जा सकता है लेकिन सुरक्षा कारणों जैसे कंप्यूटर फ़ायरवॉल के कारण इंटरनेट यूजर इंट्रानेट पर नहीं जा सकता। इंट्रानेट बिना किसी इंटरनेट कनेक्शन के भी चल सकता है। इंटरनेट, अधिक व्यापक एक बड़ी आबादी में फैला है, सभी वेब आधारित सेवाओं के लिए बेहतर पहुंच प्रदान करता है और इस प्रकार, बहुत से उपयोगकर्ता के अनुकूल है। इंट्रानेट अधिक सुरक्षित निजीकृत इंटरनेट का एक संस्करण है।

आशा है आपको उपरोक्त जानकारी अच्छी लगी होगी, और भी ऐसे अच्छे लेख पढने के लिए आते रहें।

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16 अक्टूबर 2018

वेब सर्च इंजन क्या है? यह कैसे काम करता है?

Popular Web Search Engine
Popular Web Search Engine


नमस्कार मित्रों, जैसा की सब जानते है की वेब पर किसी भी विषय के बारे में जानना हो तो ब्राउज़र के एड्रेस में लिखते है और सर्च कर लेते है, जो की ब्राउज़र में सेव पहले से ही डिफाल्ट सर्च इंजन हमें परिणाम दिखाता है।

लेकिन वेब सर्च इंजिन क्या है? यह कैसे काम करता है? आईये जाने।

एक वेब सर्च इंजन वह सॉफ्टवेयर है जिसे वर्ल्ड वाइड वेब से सबंधित सूचनाओं को खोजने के लिए बनाया गया है। सर्च रिजल्ट (खोजे गये परिणामों) को सामान्यत: परिणामों की एक सूचि के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसे "सर्च इंजन रिजल्ट पेज" (s.e.r.p.) कहा जाता है। सुचना वेब पेज, छवियों और अन्य कई तरह की फाइलों का मिश्रण हो सकता है। कुछ सर्च इंजन डाटा बेस अथवा ऑपन डायरेक्ट्रीज (Open Directories) से भी डाटा माईन (खोज) करते हैं।

एक सर्च इंजन वास्तविक समय में निम्नलिखित प्रक्रियाओं को सम्भालता है:
1. वेब क्रलिंग/ वेब स्पाइडर
2. इंडेक्सिंग (अनुक्रमण)
3. सर्चिंग (खोजना)

एक वेब क्राउलर वह इंटरनेट बोट (bot) है जो वेब अनुक्रमण (इंडेक्सिंग) के लिए वर्ल्ड वाइड वेब को व्यवस्थित तरीके से ब्राउज करता है। सर्च इंजन वेब क्राउलिंग या स्पाइडर सोफ्टवेयरों का उपयोग अपनी वेब कंटेंट (सामग्री) या दुसरी वेबसाइट के कंटेंट अनुक्रमण को अद्यतन (अपडेट) बनाने के लिए करते हैं। वेब क्राउलर विजिट किये गये सभी पृष्ठों की प्रतिलिपि (कॉपी) तेयार कर प्रस्तुत कर सकता है जिसके डाउनलोड किये गये पेजों को बाद में सर्च इंजन द्वारा अनुक्रमित किया जा सकता है जिसे उपयोगकर्ता (यूजर) और अधिक कुशलता से खोज (सर्च) सकता है।

इंडेक्सिंग अनुक्रमण का अर्थ वेब पेज पर पाए गये सबंधित शब्दों और परिभाषित हो सकने वाले टोकनो को उनके डोमेन-नेम और एच.टी.एम.एल. (HTML) फिल्ड से जोड़ना है।  इनका जोड़ सार्वजनिक डेटा बेस में किया जाता है जो वेब सर्च क्वेरी के लिए उपलब्ध रहता है। यूजर के द्वारा एक शब्द के रूप में भी क्वेरी की जा सकती है। अनुक्रमण (इंडेक्स) सबंधित सूचनाओं को शीघ्र से शीघ्र खोजने में मदद करता है।

आमतौर पर जब कोई यूजर कोई क्वेरी करता है तो वह कुछ शब्दों का समूह होता है। इंडेक्स में निहित तौर पर उन सभी वेबसाईटों के नाम होते हैं जहाँ क्वेरी शब्दों के कीवर्ड होते हैं एवं उन्हें तत्काल या क्षणिक तौर पर इंडेक्स से प्राप्त किया जा सकता है। वास्तविक प्रोसेसिंग लोड इन वेब-पेज (खोजे गये परिणामों) को सूचीबद्ध करने में लगता है।

सर्च इंजन की उपयोगिता परिणामों की प्रासंगिकता पर निर्भर करती है। उसी शब्द /शब्दांशों से सबंधित जानकारी लाखों वेबसाइट पर उपलब्ध होती है लेकिन उनमें से कुछ पेज दूसरों की तुलना में क्वेरी से अधिक प्रासंगिक एवं लोकप्रिय हो सकते हैं। अधिकतर सर्च इंजन परिणामों की रैंकिंग करके सबसे अच्छे परिणामों को सर्च रिजल्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

कौनसा पेज सबसे ज्यादा मैच करता है? किस क्रम में परिणामों को दिखाया जाना है? यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया हरेक सर्च इंजन अलग-अलग होती है। शोध के अनुसार, आज सबसे ज्यादा लोकप्रिय सर्च इंजन जिन्हें इंटरनेट समुदायों द्वारा अत्यधिक काम में लिया जा रहा है वो निम्न है:
1. गूगल (Google)
2. बिंग (Bing)
3. याहू (Yahoo)
4. बायडू
5. एओएल (AOL जिसे पहले अमेरिकन ऑनलाइन कहा जाता था)
6. आस्क
7. लाइकोस

गूगल सर्च जिसे सामान्यत: गूगल वेब सर्च या गूगल कहकर संबोधित किया जाता है, गूगल इनकार्पोरेशन का एक वेब सर्च इंजन है। यह वर्ल्ड वाइड वेब पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सर्च इंजन है, जिसमे हर रोज तीस करोड़ से भी अधिक सर्च किये जाते हैं। गूगल के सर्च-रिजल्ट पेज का ऑर्डर "पेजरैंक" नामक पेटेंटेड प्रायोरिटी रैंक अल्गोरिद्म पर आधारित है।
गूगल सर्च का मुख्य उद्धेश्य वेब सर्वर पर सार्वजानिक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों में शब्दों की खोज करना है ना की डेटाबेस में उपलब्ध चित्र या डाटा खोजना। यह मूल रूप से 1997 में लेरी पेज और सर्गेइ ब्रिन द्वारा विकसित किया गया था।

बिंग भी एक वेब सर्च इंजन है जिसे पहले लाइव (Live) सर्च, विंडोज लाइव सर्च एवं एम.एस.एन. (MSN सर्च) के नाम से भी जाना जाता था। इसे "डिसीजन इंजन" के रूप में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विज्ञापित किया गया था। बिंग का अनावरण 28 मई 2009 को माइक्रो सॉफ्ट के सीईओ स्टीव बाल्बर द्वारा किया गया।

अगली बार मिलते है कुछ ऐसी ही जानकारीवर्धक पोस्ट के साथ।

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12 अक्टूबर 2018

वेबसाइट क्या है? इसके कितने प्रकार है?

What is a website? How many types are it?
Website

नमस्कार मित्रों, स्वागत है आपका , पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा ब्लॉग क्या है? इ-कॉमर्स क्या है? क्लाउड स्टोरेज क्या है? यूआरएल क्या है? यदि आपने नही पढ़ा तो यहाँ क्लिक करे सभी पोस्ट एक ही जगह मिल जाएगी, आज आपको बताऊंगा वेबसाइट और उसके प्रकार के बारे में।

वेबसाइट क्या है?


एक वेबसाइट, वर्ल्ड वाइड वेब (www) फाइलों का एक सबंधित संग्रह है, जिसमे साथ में एक पेज भी होता है जिसे होमपेज कहते हैं। एक होमपेज वो पेज होता है जो किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करने पर सबसे पहले खुलता है। प्राय: कोई भी कम्पनी या एक व्यक्ति जिसकी वेबसाइट होती है वो आपको अपनी वेबसाइट के होमपेज का पता (एड्रेस) देता है क्योंकि होम पेज के द्वारा आप पूरी वेबसाइट को नेविगेट कर सकते हैं और किसी भी पेज पर पहुंच सकते हो।

वेबसाइट से कई कार्य किये जा सकते हैं, वेबसाइट किसी की निजी वेबसाइट भी हो सकती है या फिर एक वाणिज्यिक वेबसाइट हो सकती है, एक सरकारी वेबसाइट या एक गैर-लाभकारी संगठन वेबसाइट हो सकती है। वेबसाइट एक व्यक्ति, एक व्यापार या अन्य संगठन का काम हो सकता है, और आमतौर पर एक वेबसाइट एक विशेष विषय या उद्देश्य के लिए समर्पित होती है। किसी भी वेबसाइट पर किसी अन्य वेबसाइट के लिए एक हाइपरलिंक शामिल कर सकते हैं।

वेब पेजेज को अलग-अलग आकार की कंप्यूटर आधारित एवं इंटरनेट सक्षम डिवाइस के द्वारा देखा या एक्सेस किया जा सकता है, जैसे डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, पीडीए एवं मोबाइल फोन्स। एक वेबसाइट एक कंप्यूटर सिस्टम पर होस्ट किया जाता है जिसे वेब सर्वर कहते हैं, जिसे एचटीटीपी (HTTP) सर्वर भी कहा जाता है। HTTP के बारे में जानने के लिए ब्लॉग की पिछली पोस्ट पर जाएँ या यहाँ क्लिक करें।

वेबसाइट के प्रकार :

वेबसाइटों को व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

स्थिर (Static) : स्टेटिक साइटों की इन्फोर्मेशन स्थिर होती है एवं यूजर के संवाद (इंटरेक्शन) की अनुमति नहीं डी जाती है।

गतिशील (Dynamic) : डायनामिक साईट वेब 2.0 का हिस्सा है, और इस साईट के मालिक और साइट आगंतुकों के बीच संवाद के लिए अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए ब्लॉग डायनामिक वेबसाइट का रूप है।

आजकल अधिकांश कॉर्पोरेट वेबसाइट डायनामिक होती है जो बेहतर ग्राहक संवाद और उपभोक्ता व्यवहार की सटीक ट्रेकिंग में मदद करती है। 

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08 अक्टूबर 2018

ब्लॉग क्या है? इसके कितने प्रकार है?

ब्लॉग क्या है?
ब्लॉग क्या है?

नमस्कार मित्रों, आज बात करते हैं ब्लॉग के बारे में, इस आलेख में जानेंगे की ब्लॉग क्या है? ब्लॉग किसे कहते हैं? और ब्लॉग के कितने प्रकार होते हैं?

एक ब्लॉग, जानकारी या चर्चा हेतु तेयार की गयी वेबसाइट है जो की डिस्क्रिट प्रविष्ठियां (अलग-अलग), जिन्हें पोस्ट भी कहा जाता है, से मिलकर बनी होती है तथा जो आमतौर पर रिवर्स क्रानिकल यानि जो पोस्ट हाल ही में की गई है वो पोस्ट सबसे ऊपर के रूप में दिखाई जाती है।

सन 2009 तक ब्लॉगस आमतौर पर एक ही व्यक्ति का काम होता था, कभी कभार इसे एक समूह वाले, एक ही विषय पर वार्तालाप करने के लिए उपयोग में लेते थे, अभी हाल ही में बहुत से बहु लेखक ब्लॉग (मल्टी ऑथर ब्लॉग) विकसित हुए हैं। जिनमे बहुत से लेखकों द्वारा पोस्ट लिखी जाती है तथा पेशेवरों द्वारा संपादित की जाती है।

समाचार पत्रों के पेशेवर, अन्य मिडिया के आउटलेट्स, विश्वविद्यालयों के विचारक समूह, वकालत समूह इत्यादि की उपस्थिति तथा योगदान की वजह से ब्लॉग ट्रैफिक लगातार बढ़ रहा है। ट्विटर एवं अन्य माईक्रोब्लोगिंग सिस्टम ब्लॉगस को संगठित कर नयी धारणाओं में एकीकृत करने में मदद करते हैं।

अधिकांश ब्लॉग इंटरेक्टिव होते हैं जो आगुन्तकों को अपने विचार संदेश ब्लॉग से जीयुआई(GUI) के माध्यम से छोड़ने की अनुमति देते हैं। यही अंतर क्रियाशीलता (इंटरेक्टिव) ब्लॉग को दुसरी स्टेटिक (स्थिर) वेबसाइटों से अलग पहचान दिलाता है।

कई ब्लॉग एक विशेष विषय पर कमेंट्री पेश करते हैं। कुछ ब्लॉग ऑनलाइन डायरी की तरह कार्य करते हैं, तो कुछ ब्लॉग किसी विशेष व्यक्ति या संगठन के ब्रांड व विज्ञापन की तरह कार्य करते हैं। एक टिपिकल ब्लॉग में अक्षर, चित्र एवं दुसरे ब्लॉग से जुड़ने की व्यवस्था एवं अन्य विषय पर आधारित मिडिया को जोड़ने का कार्य करते हैं।

ब्लॉग के प्रकार :

ब्लॉग कई प्रकार के होते हैं, उनके प्रकार केवल उनकी सामग्री (कंटेंट) के आधार पर नहीं बल्कि उन्हें किस प्रकार प्रस्तुत किया जाना है या लिखा जाना है, पर भी निर्भर करते हैं।

ब्लॉगस के विभिन्न प्रकार को नीचे वर्गीकृत किया गया हैं:

1. व्यक्तिगत ब्लॉग (Personal Blog) : इस प्रकार के ब्लॉग में एक व्यक्ति की व्यक्तिगत चालू डायरी या कमेंट्री होती है, अधिकतर लोग ऑनलाइन डायरी लिखने के शौक़ीन होते हैं वो इसी प्रकार में आता है।

2. सहयोगात्मक ब्लॉग अथवा ग्रुप ब्लॉग (Collaborative Blog Or Group Blog) : यह वह ब्लॉग है जिसमें पोस्ट एक या एक से अधिक लेखकों द्वरा प्रकाशित होती है। ज्यादातर हाई-प्रोफाइल सहयोगात्मक ब्लॉग एक थीम के चारों और आधारित होती हैं जैसे की राजनीती, बॉलीवुड  या नयी तकनीक इत्यादि।

3. माइक्रोब्लोगिंग (Micro Blogging) : माइक्रोब्लोगिंग डिजिटल जानकारियों को छोटे-छोटे हिस्सों में प्रदर्शित करने का तरीका है जो पाठ, चित्र, लिंक एवं अन्य मिडिया के रूप में जो इंटरनेट पर उपलब्ध है। माइक्रो ब्लोगिंग एक पोर्टेबल संचार व्यवस्था है जिसे कई लोगों ने जैविक और सहज महसूस कर सार्वजनिक कल्पना का दर्जा हासिल करा लिया है जैसे ट्विटर और फेसबुक

4. कॉर्पोरेट ब्लॉग (Corporate Blog) : एक ब्लॉग प्राइवेट या बिजनस कार्य के लिए भी बनाया जा सकता है। बिजनस में आपसी संवाद बढ़ाने या फिर मार्केटिंग, ब्रांडिंग, और पब्लिक रिलेशन को बेहतर करने के काम आता है।

5. अग्रीग्रेटेड ब्लॉग (Aggregated Blog) : इस तरह के ब्लॉग में ऑर्गेनाइजेशन या व्यक्तिगत तौर पर कुछ लोग एक विषय पर जानकारी एकत्रित करके पाठकों को संयुक्त जानकारी उपलब्ध करवा सकते हैं। इससे पाठक अपने मनपसन्द विषय को पढने में समय लगा सकता है, न की व्यर्थ की जानकारी को जुटाने में।  हिंदी अग्रीग्रेटेड ब्लॉग उदाहरण : हमारीवाणी, ब्लोग्वार्ता, ब्लोग्सेतुचर्चामंच आदि।

6. Genre ब्लॉग : इस श्रेणी में वह ब्लॉग आते हैं जो किसी टॉपिक पर केन्द्रित होते हैं जैसे - राजनेतिक, स्वास्थ्य, फैशन, किताबें, तकनीक, आदि। आजकल कैसे करें? आदि के ब्लॉगस काफी प्रचलित हो रहे हैं। जिसमे दो आम प्रकार के ब्लॉग है - आर्ट ब्लॉग एवं म्यूजिक ब्लॉग।

7. मिडिया टाइप पर आधारित ब्लॉग : इस प्रकार के ब्लॉग में जिस ब्लॉग में विडिओ होते है उस ब्लॉग को व्लॉग (Vlog) कहते हैं, लिंक्स वाले ब्लॉग को लिंक्लोग (Linklog) कहते है। जिस ब्लॉग पर स्केच होते हैं उसे स्केचब्लॉग और जिसमे चित्र होते हैं उसे फोटोब्लॉग कहते हैं।

8. डिवाइस टाइप पर आधारित ब्लॉग : इस प्रकार के ब्लॉग का प्रकार लिखे गये उपकरणों के आधार पर किया जाता है। जैसे PDA अथवा मोबाइल से लिखे गये ब्लॉग को मोब्लॉग कहते हैं।

तो मित्रों ये थे ब्लॉग के प्रकार, अगर आप भी अपना ब्लॉग बनाना चाहते है तो सबसे पहले सही श्रेणी इस्तेमाल करें ताकि आपके ब्लॉग के टैरिफ पर प्रभाव ना पड़ें या यूँ कहें की गूगल आपके ब्लॉग को अनदेखा ना करें।

फ्री में आप ब्लॉग बना सकते है इंटरनेट पर तीन सबसे चर्चित फ्री सेवा है वर्डप्रेस, ब्लागस्पाट (जो की गूगल की सेवा है) और टम्बलर, आप अपने पसंद के हिसाब से इन पर अपना ब्लॉग बना सकते हैं।

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05 अक्टूबर 2018

स्मार्टफोन की बैट्री से जुडी कुछ गलतफहमियां

Some misconceptions related to smartphone battery


नमस्कार दोस्तों, आज के समय स्मार्टफोन सभी के पास है और सभी उसे अच्छी तरह से मैनेज करते हैं। लेकिन बात जब बैट्री की आती है तो कुछ गलतफहमियां दिमाग में घर कर जाती है और कुछ दोस्त दिमाग में डाल देते हैं। 

आईये जाने स्मार्टफोन की बैट्री से जुडी गलतफहमियां। 

1. बार-बार चार्ज करना -: बार-बार स्मार्टफोन को चार्ज करने पर बैट्री लाइफ पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। एक बैट्री में तयशुदा चार्ज सायकल होती है। इन्हें निश्चित बार ही चार्ज किया जा सकता है, लेकिन एक चार्ज सायकल में कई चार्ज शामिल किये जा सकते हैं।

2. दुसरे अडॉप्टर से चार्जिंग -: नए स्मार्टफोन के मोर्डन बैट्री पैक्स में सेफगार्ड्स होते हैं जो उतना ही इनपुट स्वीकार करते हैं जितना वे सम्भाल सके। आप आप बिना झिझक के उस अडॉप्टर को उपयोग में ले सकते हैं जो आपके स्मार्टफोन में फिट हो सके। आईफोन वाले भी एंड्राइड चार्जर उपयोग में ले सकते हैं। फर्क सिर्फ चार्जिंग स्पीड में नजर आता है। सभी डिवाइसेस में क्विक चार्जिंग टेक्नोलॉजी नहीं होती है। इसलिए दुसरे चार्जर से बैट्री चार्ज करने पर अधिक समय लग सकता है। 

3. चार्जिंग के लिए अनुकूलित तापमान -: लिथियम-आयन बैट्री को 32 डिग्री फैरनहाइट से कम पर चार्ज नहीं करना चाहिए। बार-बार कम तापमान में चार्ज करने पर एनोड से लिथियम आयन की एक स्थायी परत बन जाती है जिसे हटाया नहीं जा सकता। इससे बैट्री की उम्र कम हो जाती है। 

4. ओवरचार्जिंग से ब्लास्ट :- दोस्तों ओवरचार्जिंग से बैट्री को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता फिर भी इससे बचना बेहतर होगा। स्मार्टफोन में सब सिस्टम सेट होता है बैट्री 100% होते ही अपने आप चार्ज लेना बंद कर देता है। इसमें एक चिप इंटीग्रेट होती है जो फोन को ओवरचार्जिंग से बचाती है। हम में से अधिकतर ऐसे हैं की फोन को रातभर चार्जिंग पे छोड़ देते हैं, इससे फोन गर्म तो होता है और बैट्री लाइफ कमजोर हो जाती है। 

5. चार्ज करने का उचित समय :- हम सब यही गलती करते हैं की फोन बिलकूल डिस्चार्ज होने या 5 10 % चार्ज रहने पे चार्ज करते हैं जो गलत है। इससे बैट्री को नुक्सान पहुँचता है। फोन को चार्ज तभी लगा दें जब बैट्री 30 से 40% रह गई हो। 

6. नए फोन की चार्जिंग :- ये जरूरी नहीं की नया फोन उपयोग में लेने से पहले 100% चार्ज किया जाए, यह बीते जमाने की बात हो गई। अब जमाना मोर्डन लिथियम आयन बैट्री का है, इन बैट्रीज को फुल चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती।

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18 सितंबर 2018

ऐसे सुधारें एंड्राइड स्मार्टफोन की परफोर्मेंस


नमस्कार दोस्तों! आज के समय अधिकतर लोगों के पास एंड्राइड स्मार्टफोन है,और क्यों ना हो बहुत सारी सुविधा जो मिलती है। लेकिन सुविधा के साथ-साथ समस्या भी आती है, कोई भी एंड्राइड स्मार्टफोन 6 से 12 महीने इस्तेमाल होने के बाद हेंग होने लगता है। ये समस्या आप को भी आई होगी की कोई एप खोल रहें है और उसी समय आपका स्मार्टफोन हेंग हो जाता है, उस समय वाकई गुस्सा भी बहुत आता है। आपको लगने लगता है आपका स्मार्टफोन बेकार हो गया और नया लेना पड़ेगा। लेकिन जरा ठहरें नए स्मार्टफोन के हजारों रूपये लगाने से पहले अपने स्मार्टफोन की परफोर्मेंस सुधारें।

एंड्राइड स्मार्टफोन की परफोर्मेंस सुधारने के उपाय।


1. विजेट्स को हटायें - आपके स्मार्टफोन की होम स्क्रीन पे लगे हुए फालतू के विजेट्स हटा दें, क्योंकि ये बैकग्राउंड में एप्स को ऑपन रखते हैं और सिस्टम रिसोर्स पर कब्जा भी कर लेते है। यदि आपके स्मार्टफोन की होम स्क्रीन पर बहुत सारे विजेट्स है तो आप उनको हटा के परफोर्मेंस में सुधार ला सकते हैं।

2. एप अनइनस्टॉल/डिसेबल करना - जितने भी एप्स आप इनस्टॉल करोगे, बैकग्राउंड में उतने ही प्रोसेस रन होने लगते है, जिससे सीपीयू पर लोड आ जाता है। इसकी वजह से फोन स्लो होने लगता है, कई बार इसी कारण से फोन गर्म भी होने लगता है। इसके कर्ण बैटरी की उम्र भी घटती है। इसलिए आप नियमित इस्तेमाल होने वाली एप्स ही इंस्टाल रखें बाकि को अनइनस्टॉल कर दें, चाहे वो एप फेसबुक या वाट्सएप ही क्यों ना हो। और दुसरी बात आपके फोन में कुछ ऐसी प्रीइनस्टॉल एप्स भी होती है जिसका इस्तेमाल हम कभी नहीं करते तो ऐसी एप्स को सेटिंग में जाके डिसेबल कर दें।

3. स्टोरेज स्पेस को खाली करें - कुछ एंड्राइड एप्स स्पीड के लिए डेटा कैश पे निर्भर होती है, लेकिन फोन में स्पेस कम होने की वजह से स्पीड में कमी आ जाती है,फोन की स्टोरेज फ्री रख कर फोन की परफोर्मेस सुधार सकते हैं। अगर आप स्टोरेज को फ्री करने के लिए एप हटाना नहीं चाहते और फोटो विडिओ को क्लाउड स्टोरेज पे अपलोड नहीं करना चाहते तो डेटा कैश को क्लियर करके फोन की स्पीड बढ़ा सकते हैं। इसके लिए फोन की सेटिंग में स्टोरेज सेक्शन में जाकर डेटा टेप करके क्लियर या ओके पर क्लीक करें। इससे हर एप का सेव डाटा हट जायेगा और फोन का कुछ सुधार होगा। अगर आप मैनुअली ये सब नही करना चाहते तो क्लीन मास्टर एप इस्तेमाल करें वो आपके फोन के फालतू का टेम्परेरी डाटा अपने आप साफ़ कर देगी, और स्पीड भी बढ़ा देगी।

4. हमेशां फ़ास्ट मेमोरी कार्ड इस्तेमाल करें - माइक्रो एसडी कार्ड पर एप्स हमेशां स्लो ही चलेगी, जिससे आपका फोन का स्लो होना स्वभाविक है। लेकिन कुछ एप्स कभी-कभी फोन के तेज इंटरनल स्टोरेज की बजाय माइक्रो एसडी कार्ड पर ही अपना डेटा सेव करती है। इसलिए अपने स्मार्टफोन की परफोर्मेंस को बढ़ाने के लिए फ़ास्ट मेमोरी कार्ड ही इस्तेमाल करना चाहिए जैसे युएचएस स्पीड क्लास 3 (u-3) का कार्ड इस्तेमाल करें। इस कार्ड की स्पीड रेंक आप अंतर्जाल पे तलाश कर सकते हैं।

इन सभी उपायों से ज्यादा तो नही लेकिन आपके एंड्राइड स्मार्टफोन की क्षमता 70% बढ़ जाएगी।

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28 फ़रवरी 2014

कांफ्रेंसिंग के लिए बनाएँ पर्सनल प्रोफाइल पेज



वीडियो कोंफ्रेंस का बिजनेस आउटसोर्सिंग में काफी महत्व है, क्योंकि ग्लोबल विलेज में तब्दील हो चुकी दुनियां में वीडियो कोंफ्रेंस के जरिये आप किसी भी हिस्से में मौजूद अपने टीम मेंबर, क्लाइंट या फिर कस्टमर के सम्पर्क में रहते हैं। इसी कि जरुरत को ध्यान में रखते हुए कुछ वेबसाइट वीडियो कोंफ्रेस के लिए शानदार विकल्प उपलब्ध करा रही है। गूगल 'हैंगआउट' के जरिये ऐसी ही सेवा दे रहा है। लेकिन इस से भी आसान सेवा है 'मीटिंग्स' जो वीडियो कोंफ्रेस को ओर भी आसान बना देती है।

कैसे शुरू करें पर्सनल वीडियो कोंफ्रेस रूम?

पर्सनल वीडियो कोंफ्रेस रूम बनाने के लिए आपको यहाँ क्लिक कर मीटिंग्स कि वेबसाइट पर जाना होगा, यहाँ आपको 'गेट ए मीटिंग रूम' ऑप्सन मिलेगा, जहाँ आप पर्सनल ऑनलाइन मीटिंग रूम तेयार कर सकते हैं। इसके वेब पते को आप किसी के साथ शेयर कर वीडियो कोंफ्रेस कर सकते हैं। आप चाहें तो यहाँ से इम्बेड कोड लेकर अपनी वेबसाइट या ब्लॉग पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मुफ्त सेवा कि एक ओर खूबी है कि एक बार तेयार किये गए प्रोफाइल को ही भविष्य में इस्तेमाल कर सकते हैं। आज का लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट के माध्यम से जरुर बताएं।

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27 फ़रवरी 2014

गूगल ही सब कुछ नहीं

मित्रों सबसे पहले तो सभी को महाशिवरात्री पर्व कि हार्दिक शुभकामनाएं। अब बढते है आज के लेख कि तरफ,  क्या आप इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करने के लिए सिर्फ गूगल  कि मदद लेते हैं? हो सकता है कि आप याहू या बिंग पर भी सर्च करते हों। पर इनके अलावा भी कई ऐसे सर्च इंजन है, जो खास तरह कि सर्च करते हैं और इंटरनेट पर आपके काम को आसान बना सकते हैं। 

ऐसे ही कुछ सर्च इंजन में आपको बता रहा हूँ जो निम्न है -:

सोशल सर्च के लिए
scour.com

अब आप स्कोर डॉट कॉम कि सहायता से सर्च के साथ सोशल नेटवर्किंग का कॉम्बीनेशन देख सकते हैं। इससे ट्विटर और फेसबुक के पेज कि सर्च आसान हो जाती है। स्कोर डॉट कॉम पर जाने के लिए यहाँ क्लीक करें।

लोगों(व्यक्तियों) को तलाशने के लिए
pipl.com

अगर आप अंतर्जाल पर लोगों को ढूँढना चाहते हैं तो पीपल डॉट कॉम कि सहायता ले सकते हैं। वेबसाइट पर जाकर अगर आप किसी व्यक्ति का नाम और उसकी लोकेशन टाइप करेंगे तो उससे सबंधित जानकारियाँ विशिष्ट तरीके से नजर आएगी। यह जानकारियों को सर्च करने के लिए डीप वेब का इस्तेमाल करता है। पीपल डॉट कॉम पर जाने के लिए यहाँ क्लीक करें।

सवाल का जवाब पाने के लिए
answers.com

 अगर आपको अपने हर सवाल का जवाब तुरंत मिल जाए तो कैसा रहेगा? जी हाँ अब आप आंसर डॉट कॉम कि सहायता से हर सवाल का जवाब आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह दुनिया कि प्रमुख पांच भाषाओँ में काम करने वाला सर्च इंजन है। इसकी शुरुआत इजराइल में हुई थी। इसकी खास बात है कि यह वेबसाइट आपके पास अलग-अलग सोर्स से जानकारियाँ जुटाता है और उन्हें एक साथ प्रजेंट करता है। इसमें आप कई केटेगरी में सर्च कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें।

गणित कि समस्या के हल के लिए
wolframalpha.com

शोध कि दुनिया में रहने वालों को नित नई तरह कि कैलकुलेशन करनी पड़ती है। अब आप यह काम आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आप वोल्फ्राम अल्फ़ा वेबसाइट कि मदद ले सकते हैं। अगर आप सर्च इंजन में मैथ टाइप करेंगे तो वेबसाइट कि लिस्ट कि बजाय विशिष्ट जानकारियाँ नजर आएगी। इस साईट पर जाने के लिए यहाँ क्लीक करें।

हर सर्च इंजिन कि सर्च करने के लिए
dogpile.com

डॉगपाईल सर्च इंजिन कि खासियत है कि यह भी बड़े सर्च इंजिन जैसे गूगल, याहू और बिंग के नतीजों को एक साथ पेश करता है।इसमें ऑडियो और वीडियो सर्च भी आसानी से मिल सकता है। इस वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ क्लीक करें। आज का लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट के माध्यम से जरुर बताएं, अच्छा लगे तो शेयर जरुर कर दें।

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26 फ़रवरी 2014

ट्विटर या फेसबुक पर कीजिये फ्यूचर मैसेज शेड्यूल।

Schedule-facebook-twitter
Schedule-facebook-twitter


नमस्कार मित्रों, आजकल फेसबुक या ट्विटर को रेगुलर अपडेट करना यूथ वर्ग की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है। ऐसे में यदि इंटरनेट से दूर रहना पड़े, तो उन्हें बड़ी मुश्किल होती है। ऐसी समस्या का समाधान कुछ वेबसाइट के पास है। इन वेबसाइट के जरिये अपने फेसबुक या ट्विटर अपडेट्स को आसानी से शेड्यूल किया जा सकता है। नीचे ऐसी ही कुछ वेबसाइट की जानकारी दी जा रही है, जिनके जरिये आप फेसबुक या ट्विटर अपडेट्स को शेड्यूल किया जा सकता है।

ऐसे करें अपडेट्स को शेड्यूल।

इसके लिए सबसे पहले आपको इनमे से किसी एक वेबसाइट पर जाना होगा-:

laterbro.com
tweetdeck.com
socialtomorrow.com


इसके बाद आपको इन वेबसाइट पर अपने फेसबुक या ट्विटर अकाउंट पर लोगिन करना होगा। एक बार अगर आप इन वेबसाइट को अकाउंट एक्सेस करने की परमिशन दे देंगे, तो उसके बाद ये आपकी अपडेट्स को मनचाही तारीख और समय पर भेजने को तेयार होंगी। अपडेट को टाइप करने के बाद आपको केवल यह जानकारी देनी होती है कि इसे कब भेजना है। बाकी काम ये साईट खुद कर देगी। आपको ये पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट के माध्यम से जरुर बताएं।

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21 फ़रवरी 2014

क्लाउड कम्यूटिंग


 क्लाउड कम्यूटिंग
 क्लाउड कम्यूटिंग
मित्रों आजकल कंप्यूटर के क्षेत्र में 'क्लाउड कम्यूटिंग' का प्रयोग अत्यधिक सुनने में आता है। 'क्लाउड कम्प्यूटिंग' वास्तव में इन्टरनेट आधारित और कम्प्युटर एप्लीकेशन का प्रयोग है। 'गूगल एप्स' इसका एक उदाहरण है जो कई प्रकार की सेवाएं अर्थात बिजनेस एप्लीकेशन ऑनलाइन उपलब्ध कराता है। इन्टरनेट का प्रयोग कर इस तक पहुंचा जा सकता है। इन्टरनेट पर सर्वरों में जानकारियां (अनुप्रयोग,वैबी पैजिस, प्रोग्राम इत्यादि सभी) सदा सर्वर के लिए भंडारित रहती है और ये उपयोक्ता के डेस्कटॉप, नोटबुक, गेमिंग कंसोल इत्यादि पर आवश्यकतानुसार इंटरनेट द्वारा अस्थायी रूप से प्रयुक्त की जाती है। सरल शब्दों में इन्टरनेट के माध्यम से कम्प्युटर से सबंधित सभी काम ऑनलाइन करने को ही क्लाउड कम्प्यूटिंग कहा जाता है अर्थात वैब सेवा प्रदान करने वालों के सर्वरों पर आप अपने सभी कार्य निपटा सकते हैं। आप वर्ड फ़ाइल, फोटो से लेकर वीडियो आदि अपना सारा डाटा इन सर्वरों में ही सेव कर सकते है। अब डाटा स्टोर करने के लिए हार्ड डिस्क या मैमोरी कार्ड की चिंता नहीं होगी।

इन्टरनेट वास्तव में विश्वभर के एक साथ जुड़े कम्प्यूटरों तथा सर्वरों का एक विशाल तन्त्र है जिनमें सम्पर्क स्थापित करने के लिए एक जैसी तकनीक का प्रयोग किया जाता है। कम्प्यूटरों तथा सर्वरों के इस जाल में प्रयोग होने वाली सारी जानकारी तथा इसकी विश्वभर में पहुँच को ही 'क्लाउड कम्प्यूटिंग' कहा जाने लगा।

वैब सर्च इंजिन हो या अन्य साईट, सभी क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से ही यूजर तक पहुँचती है। क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से ही विश्वभर की खबर कुछ ही समय में अद्यतन हो जाती है। जब आप इंटनेट पर कुछ भी सर्च करते है तो ये मांग भी क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से हि पूरी होती है। सवाल सीधे सर्वरों पर पहुँचता है। ढेरों सर्वर आपस में जुड़े होने के कारण सूचनाओं का आदान-प्रदान पलों में हि हो जाता है। सरंक्षित डाटा में से उतर तलाश कर सबसे पहले सर्वर वेबसाईट का प्रारूप तेयार करते है और इन्हें एक पेज के रूप में फोर्मेट करते हैं तथा इस पेज को आपके पास भेज देते है। यह प्रक्रिया एक सेकेण्ड से भी कम समय में पूरी हो जाती है।

सोसल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर और फेसबुक इत्यादि भी क्लाउड कम्प्यूटिंग के आधार पर ही सेवा प्रदान करती है। फ़ाइल शेयरिंग से जुड़े कार्य भी क्लाउड कम्प्यूटिंग के अंतर्गत आते है।    
   
आज बस इतना ही अगली बार कुछ खास लेकर पेश होऊंगा धन्यवाद।   

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20 दिसंबर 2012

मेमोरी का मानक



नमस्कार मित्रों आज कई दिनों बाद समय मिला है पोस्ट लिखने के लिए तो सोचा कुछ खास तकनीकी बात बता दी जाये।

आज मैं जिक्र कर रहा हूँ मेमोरी का, कंपनी के अनुसार 1*1000 के बराबर 1000 एमबी होता है मतलब 1000 * 1000 = 1000000 केबी
और 1000000*1000 = 1000000000 बाइट जबकि कंप्यूटर की गणना के अनुसार

1000000000/1024 = 976562.5 केबी,
976562.5/1024 = 953.67 एमबी,
953.67/1024 = 0.93जीबी


कंपनियों द्वारा हार्ड डिस्क का मानक

1केबी = 1000 बाइट
1एमबी = 1000 केबी
1जीबी = 1000 एमबी
1टीबी = 1000 जीबी

कंप्यूटर द्वारा हार्ड डिस्क मानक

1केबी = 1024 बाइट
1एमबी = 1024 केबी
1जीबी = 1024 एमबी
1टीबी = 1024 जीबी

यही कारण है की 1 जीबी की रेम  हमें 0.99 जीबी दिखाई देती है...
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