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क्या है? लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
क्या है? लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

31 अक्टूबर 2018

जाने लिंक्ड इन के बारे में।

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लिंक्डइन 
नमस्कार मित्रों, आपका स्वागत है यहाँ। लिंक्ड इन के बारे में अधिकतर लोग नही जानते की आखिर ये क्या है, क्योंकि लोगों को फेसबुक से ही फुर्सत नहीं, आज जानेंगे इस छोटे से लेख में लिंक्ड इन के बारे में। 

लिंक्ड इन एक व्यवसाय उन्मुख सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट है, जिसे दिसम्बर 2002 को शुरू किया गया। मुख्य रूप से यह पेशेवर नेटवर्किंग के उद्देश्य से बनायी गयी है। 2015 तक इस साईट का सम्पूर्ण राजस्व नियोक्ताओं एवं बिक्री पेशेवरों को जानकारी बेचने से प्राप्त होता है। इसके उपयोगकर्ता पेशेवर प्रोफाइल तैयार करते हैं जिससे दुसरी साईट के सदस्य उनके व्यापार पृष्ठ भूमि, कार्यविशेषता समूह, या संगठन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। एक बार उपयोगकर्ता अपनी प्रोफाइल बनाने के बाद दुसरे उपयोगकर्ता को भी अपने नेटवर्क में जोड़ सकता है।

प्रोफाइल में स्टेट्स की सुविधा उपलब्ध होती है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता के नेटवर्क से जुड़े लोग यह जान सकते हैं की उपयोगकर्ता किस विषय पर कार्य कर रहा है तथा कब यात्रा कर रहा होगा तथा जरूरत अनुसार सुझाव देना शामिल होते हैं। इसमें उनके लिए भी सुविधा होती है जो इसके सदस्य नहीं है वह प्रोफाइल के हिस्से को देखने की स्वीकृति भी प्रदान कर सकता है।

इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं है :

* सम्पर्क में रखे : जो व्यक्ति बार-बार नौकरी बदलते हैं, लिंक्ड इन ऐसे उपयोगकर्ताओं को उन पेशेवर नेटवर्क से सम्पर्क में रहने तथा उनके कार्यों को अपडेट देने तथा सम्पर्क सूत्रों को प्रदान करता है।

* मदद लेना : उपयोगकर्ता के नेटवर्क जब किसी व्यापारिक समस्या का हल नहीं निकाल सकते, तब लिंक्ड इन का टूल "आंसर एंड ग्रुप्स" उपयोगकर्ता को विश्वास पात्र एक्सपर्ट से मिलाता है।

* नौकरी ढूँढना : लिंक्ड इन उपयोगकर्ताओं को हजारों नौकरियों की जानकारी देना एवं उनके लिए एप्लीकेशन फॉर्म उपलब्ध करवाने का कार्य करता है। यह एप्लीकेशन और यूजर की प्रोफाइल सीधे नियोक्ता तक पहुंच जाती है।

* नए स्टाफ का अपॉइंटमेंट : कम्पनी के मनेजर लिंक्ड इन पर जाकर अपने कम्पनी के लिए सही कैंडीडेट चुन सकते हैं जिनके पास तयशुदा स्किल एवं एक्सपीरियंस हो। 

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29 अक्टूबर 2018

ट्विटर क्या है? इसके मुख्य फीचर्स क्या है?

About Twitter and its main features.
Twitter

नमस्कार मित्रों! स्वागत है आपका यहाँ। आज जानेंगे ट्विटर और इसके मुख्य फीचर्स के बारे में, वैसे तो twitter को इंटरनेट के sms के रूप में भी जाना जाता है। और लगभग सभी यूजर इसके बारे में जानता है यह लेख नए उपयोगकर्ता के लिए मार्गदर्शन हेतु लिखा गया है। 

ट्विटर एक ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग सर्विस है जो उपयोगकर्ता (User) को 140 करैक्टर के छोटे संदेश भेजने और पढने की सुविधा देता है जिन्हें "tweets" कहा जाता है। पंजीकृत उपयोगकर्ता संदेश को पढ़ एवं प्रेषित कर सकते हैं परन्तु अन्य उपयोगकर्ता सिर्फ संदेश पढ़ सकते हैं। इसे कंप्यूटर एवं मोबाइल, दोनों से संचालित किया जा सकता है। वर्तमान में ट्विटर के दुनियाभर में 25 कार्यालय है और इसकी स्थापना सेन फ्रांसिस्को में हुई थी। ट्विटर मार्च 2006 में बनाया गया था और इसके निर्माता हैं: जैक डोरसे, एवन विलियम्स, ब्रिज टोन, और नूह ग्लास, ट्विटर जुलाई 2006 में लांच किया गया था।

ट्विटर के मुख्य फीचर इस प्रकार है : 

* ट्वीट : यह एक संदेश का टुकड़ा है जो की अधिकतम 140 और कुछ देशों में ये 280 करैक्टर का हो सकता है। शब्दों के बीच खाली जगह और पंक्चुएशन भी 140 करैक्टर में शामिल किये जाते हैं, यानी आप मेसेज लिखते समय जितनी बार स्पेस बटन का इस्तेमाल करेंगे वो भी गिना जायेगा।  यह एक प्रकार की ब्लॉग एंट्री या समझ लीजिए एक छोटे ब्लॉग की तरह है।

* टाइम लाइंस : तारीख के हिसाब से संदेशों का संकलन है टाइम लाइन। पब्लिक टाइम लाइन में हर संदेश का संकलन होता है। जब आप ट्वीट करते हैं तो आप खुद की टाइम लाइन बना लेते हैं जो की आपकी प्रोफाइल देखने वाले हर उपभोक्ता को क्रमबद्ध दिखेगी। टॉप मेन्यु में प्रोफाइल लिंक पर क्लिक करके आप खुद की टाइम लाइन देख सकते हैं। हर उपभोक्ता की एक विशेष टाइम लाइन भी होती है जिसमे हर उस व्यक्ति के ट्वीट होते हैं जिसे उपयोगकर्ता फ़ॉलो कर रहा होता है। यह आपके खुद के न्यूज टिकर की तरह होता है। आप बहुत से लोगों और समूह को फ़ॉलो कर सकते हैं। सिवाय उन संदेशों के जो वह खुद किसी को भेज रहे हैं, आप संदेशों को देख सकते हैं।

* ट्विटर प्रोफाइल : टॉप मेन्यु के सेटिंग लिंक पर क्लिक करके आप अपनी प्रोफाइल एडिट कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रखना जरूरी है की आपके अकाउंट सेक्शन की हर चीज पब्लिक को दिखती है। अगर आप अपना वास्तविक नाम नहीं दिखाना चाहते तो अपना नाम बदल सकते हैं। हेड शॉट को आम तौर पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर बनाया जाता है।

* फोलोविंग और फोलोवर्स : फोलोविंग ट्वीटर में friending और subscribing के लिए प्रयोग किया जाता है। जब किसी की प्रोफाइल पेज पर विजिट करते हैं तो उसके चित्र के नीचे एक छोटा सा फ़ॉलो बटन होता है। इस बटन पर क्लिक करने से आपके होम टाइम लाइन पर उस व्यक्ति के ट्वीट दिखाई देते हैं। ट्विटर पर फोलोविंग एक तरफा होता है, जब तक कोई अपने अपडेट को गोपनीय नहीं करता, उसे आपकी फोलोविंग रिक्वेस्ट को अप्रूव करने की जरूरत नहीं होती है। अगर फीचर बंद ना किया हो तो उन्हें इस बात का एक ई-मेल मिलेगा की आप उन्हें फ़ॉलो कर रहे हैं। वो भी आपके ट्वीट चेक कर सकते हैं और आप उनके मतलब के संदेश भेजते रहते हैं तो वे भी आपको फ़ॉलो कर सकते हैं।

* क्न्वर्सेशन
+ सीधे संदेश प्राइवेट होते हैं। सिर्फ प्रेषक और पाने वाला ही उन्हें देख सकता है। आप इस प्रकार के संदेश सिर्फ उन लोगों तक भेज सकते हैं जो आपको फ़ॉलो करते हैं। इस प्रकार के संदेश आमतौर पर अच्छे नहीं माने जाते और लोग उन्हें नहीं पढ़ते।
+ जिन ट्वीट में आपको मेंशन किया गया है, यह जानने के लिए ट्विटर के राईट साइड पर @yourname (आपका यूजर नेम) पर क्लिक करें।
+ अपने फोलोवर्स को अपना ट्वीट दिखाने और किसी को विशेष रूप से भेजने के लिए शुरुआत की जगह कहीं भी @username लिख दें।

* री-ट्वीट (RT) : जब कोई दूसरा आपके ट्वीट को उसके खुद के फोलोवर्स को दिखाना चाहता हो, तो इसे करने का सामान्य तरीका है:
RT@OriginalAuthor Content of original tweet [Retweeter's comment]

* हेशटैग : हेशटैग से आप अपने ट्वीट में कुंजी शब्द या श्रेणियां जोड़ सकते हैं। हेशटैग लोगों को एक विषय पर ट्वीट का औसत करने की अनुमति देता है। इसमें हेशटैग का चिन्ह की वर्ड बिना रिक्तस्थान के होता है जैसे #फेसबुक । हेशटैग आजकल स्वचलित ट्विटर खोज के लिंक में बदल जाते हैं। जैसे #फेसबुक टैग पर क्लिक करेंगे तो #फेसबुक हेशटैग की सारी सामग्री आपके सामने आ जाएगी जिनमे ये टैग इस्तेमाल हुआ है। कांफ्रेसं और इन्वेट्स के लिए हेशटैग का काफी प्रयोग होता है। हेशटैग को ढूंढ कर आप कई प्रकार के लाइव इवेंट्स को फ़ॉलो कर सकते हो।  अपने शहर या राज्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी रखी जा सकती है, किसी भी विषय को खोजा जा सकता है।

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26 अक्टूबर 2018

इंटरनेट और इंट्रानेट क्या है? इनमे क्या अंतर है?

 What is internet and intranet? And what's the difference between them?

What is internet and intranet?

नमस्कार मित्रों, हम सभी इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इंटरनेट किसे कहते हैं? और आपने इंट्रानेट नाम भी सुना होगा, दोनों में अंतर भी बहुत है, आज इन्हीं दो विषयों पर संक्षेप में बताऊंगा।


इंटरनेट:

इंटरनेट सुचना संप्रेषण (Information Communication) का एक वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क (ऐसे कंप्यूटर जो आपस में कनेक्टेड है) है। यह उपयोगकर्ता को सुचना आदान-प्रदान करने का मंच प्रदान करता है। इंटरनेट में संचार के लिए विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे डाटा ट्रांसफर में उद्देश्यपरकता को बनाए रखने में मदद मिलती है। इन कंप्यूटरों में सरकारी, विश्वविद्यालय, कम्पनीज एवं लोगों के व्यक्तिगत कंप्यूटर शामिल है। ज्यादातर इंटरनेट सेवा क्लाइंट/सर्वर मॉडल पर कार्य करती है। जब कोई कंप्यूटर फ़ाइल रिसीव कर रहा होता है तो वह क्लाइंट कहलाता है तथा जब वह फ़ाइल सेंड कर रहा होता है तो वह सर्वर बन जाता है। इंटरनेट पर एक्सेस प्राप्त करने के लिए उस क्षेत्र में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के साथ एकाउंट खोलना होता है।

इंट्रानेट:

इंट्रानेट एक निजी नेटवर्क होता है जो केवल उस संगठन के कर्मचारियों के लिए ही सुलभ होता है। आमतौर पर संगठन के आंतरिक आईटी सिस्टम से जानकारे और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला संगठन के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होती है एवं ये इंटरनेट से आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होता है। एक इंट्रानेट वेबसाइट किसी भी अन्य वेबसाइटों की तरह काम करते हैं, लेकिन एक इंट्रानेट के आसपास के फ़ायरवॉल अनाधिकृत उपयोग को बंद कर देता है।

इंटरनेट बनाम इंट्रानेट:

इंटरनेट वैश्विक (Global) वर्ल्ड वाइड वेब है जबकि इंट्रानेट एक कम्पनी का निजी इंटरनेट है जिसे सिर्फ कम्पनी के अंदर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दोनों TCP/IP Protocol को उपयोग में लेते हैं साथ ही में ई मेल और अन्य वर्ल्ड वाइड वेब मानक इस्तेमाल करते हैं। दोनों में मुख्य फर्क यह है कि इंट्रानेट का यूजर इंटरनेट पर जा सकता है लेकिन सुरक्षा कारणों जैसे कंप्यूटर फ़ायरवॉल के कारण इंटरनेट यूजर इंट्रानेट पर नहीं जा सकता। इंट्रानेट बिना किसी इंटरनेट कनेक्शन के भी चल सकता है। इंटरनेट, अधिक व्यापक एक बड़ी आबादी में फैला है, सभी वेब आधारित सेवाओं के लिए बेहतर पहुंच प्रदान करता है और इस प्रकार, बहुत से उपयोगकर्ता के अनुकूल है। इंट्रानेट अधिक सुरक्षित निजीकृत इंटरनेट का एक संस्करण है।

आशा है आपको उपरोक्त जानकारी अच्छी लगी होगी, और भी ऐसे अच्छे लेख पढने के लिए आते रहें।

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18 अक्टूबर 2018

डोमेन नेम सिस्टम (DNS ) क्या है?

What is Domain Name System?
DNS
नमस्कार मित्रों स्वागत है यहाँ, आज जानेंगे डोमेन नेम सिस्टम (डीएनस) के बारे में डोमेन नेम सिस्टम इंटरनेट डोमेन नामों का पता लगाने और उनका इंटरनेट एड्रेस प्रोटोकॉल में अनुवाद करने का एक तरीका है। एक डोमेन नाम एक इंटरनेट एड्रेस को याद रखने का एक सार्थक और आसन तरीका है।

डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस) कंप्यूटर, सेवाओं, या किसी भी इंटरनेट या एक निजी नेटवर्क से जुड़े रहने के लिए एक श्रेणीबद्ध वितरित नामकरण प्रणाली है। ये डोमेन नेम्स, जो की मनुष्य द्वारा आसानी से यद् किये जा सकते हैं, को संख्यात्मक आईपी पतों (numerical IP address) को परिवर्तित करने का तरीका है जिसकी आवश्यकता कंप्यूटर सेवाओं और डिवाइस के लिए दुनियाभर में होती है।

डोमेन नाम प्रणाली सभी इंटरनेट सेवाओं की सुविधाओं का एक आवश्यक घटक है, क्योंकि यह इंटरनेट के प्राथमिक निर्देशिका सेवा (primary dirctory service) है। डोमेन नाम वर्णानुक्रमक (alphabetic) होते हैं। इसलिए याद करने में आसन होते हैं। इंटरनेट हालाँकि, वास्तव में इप पतों (IP addresses) पर आधारित है।हर बार जब आप एक डोमेन नाम का उपयोग करते हैं तब DNS सेवा इस डोमेन नाम को एक विशिष्ट आईपी पते में बदल देती है उदाहरण के लिए, डोमेन नेम www.example.com, आईपी एड्रेस 198.105.232.4 में परिवर्तित हो सकता है।

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16 अक्टूबर 2018

वेब सर्च इंजन क्या है? यह कैसे काम करता है?

Popular Web Search Engine
Popular Web Search Engine


नमस्कार मित्रों, जैसा की सब जानते है की वेब पर किसी भी विषय के बारे में जानना हो तो ब्राउज़र के एड्रेस में लिखते है और सर्च कर लेते है, जो की ब्राउज़र में सेव पहले से ही डिफाल्ट सर्च इंजन हमें परिणाम दिखाता है।

लेकिन वेब सर्च इंजिन क्या है? यह कैसे काम करता है? आईये जाने।

एक वेब सर्च इंजन वह सॉफ्टवेयर है जिसे वर्ल्ड वाइड वेब से सबंधित सूचनाओं को खोजने के लिए बनाया गया है। सर्च रिजल्ट (खोजे गये परिणामों) को सामान्यत: परिणामों की एक सूचि के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसे "सर्च इंजन रिजल्ट पेज" (s.e.r.p.) कहा जाता है। सुचना वेब पेज, छवियों और अन्य कई तरह की फाइलों का मिश्रण हो सकता है। कुछ सर्च इंजन डाटा बेस अथवा ऑपन डायरेक्ट्रीज (Open Directories) से भी डाटा माईन (खोज) करते हैं।

एक सर्च इंजन वास्तविक समय में निम्नलिखित प्रक्रियाओं को सम्भालता है:
1. वेब क्रलिंग/ वेब स्पाइडर
2. इंडेक्सिंग (अनुक्रमण)
3. सर्चिंग (खोजना)

एक वेब क्राउलर वह इंटरनेट बोट (bot) है जो वेब अनुक्रमण (इंडेक्सिंग) के लिए वर्ल्ड वाइड वेब को व्यवस्थित तरीके से ब्राउज करता है। सर्च इंजन वेब क्राउलिंग या स्पाइडर सोफ्टवेयरों का उपयोग अपनी वेब कंटेंट (सामग्री) या दुसरी वेबसाइट के कंटेंट अनुक्रमण को अद्यतन (अपडेट) बनाने के लिए करते हैं। वेब क्राउलर विजिट किये गये सभी पृष्ठों की प्रतिलिपि (कॉपी) तेयार कर प्रस्तुत कर सकता है जिसके डाउनलोड किये गये पेजों को बाद में सर्च इंजन द्वारा अनुक्रमित किया जा सकता है जिसे उपयोगकर्ता (यूजर) और अधिक कुशलता से खोज (सर्च) सकता है।

इंडेक्सिंग अनुक्रमण का अर्थ वेब पेज पर पाए गये सबंधित शब्दों और परिभाषित हो सकने वाले टोकनो को उनके डोमेन-नेम और एच.टी.एम.एल. (HTML) फिल्ड से जोड़ना है।  इनका जोड़ सार्वजनिक डेटा बेस में किया जाता है जो वेब सर्च क्वेरी के लिए उपलब्ध रहता है। यूजर के द्वारा एक शब्द के रूप में भी क्वेरी की जा सकती है। अनुक्रमण (इंडेक्स) सबंधित सूचनाओं को शीघ्र से शीघ्र खोजने में मदद करता है।

आमतौर पर जब कोई यूजर कोई क्वेरी करता है तो वह कुछ शब्दों का समूह होता है। इंडेक्स में निहित तौर पर उन सभी वेबसाईटों के नाम होते हैं जहाँ क्वेरी शब्दों के कीवर्ड होते हैं एवं उन्हें तत्काल या क्षणिक तौर पर इंडेक्स से प्राप्त किया जा सकता है। वास्तविक प्रोसेसिंग लोड इन वेब-पेज (खोजे गये परिणामों) को सूचीबद्ध करने में लगता है।

सर्च इंजन की उपयोगिता परिणामों की प्रासंगिकता पर निर्भर करती है। उसी शब्द /शब्दांशों से सबंधित जानकारी लाखों वेबसाइट पर उपलब्ध होती है लेकिन उनमें से कुछ पेज दूसरों की तुलना में क्वेरी से अधिक प्रासंगिक एवं लोकप्रिय हो सकते हैं। अधिकतर सर्च इंजन परिणामों की रैंकिंग करके सबसे अच्छे परिणामों को सर्च रिजल्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

कौनसा पेज सबसे ज्यादा मैच करता है? किस क्रम में परिणामों को दिखाया जाना है? यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया हरेक सर्च इंजन अलग-अलग होती है। शोध के अनुसार, आज सबसे ज्यादा लोकप्रिय सर्च इंजन जिन्हें इंटरनेट समुदायों द्वारा अत्यधिक काम में लिया जा रहा है वो निम्न है:
1. गूगल (Google)
2. बिंग (Bing)
3. याहू (Yahoo)
4. बायडू
5. एओएल (AOL जिसे पहले अमेरिकन ऑनलाइन कहा जाता था)
6. आस्क
7. लाइकोस

गूगल सर्च जिसे सामान्यत: गूगल वेब सर्च या गूगल कहकर संबोधित किया जाता है, गूगल इनकार्पोरेशन का एक वेब सर्च इंजन है। यह वर्ल्ड वाइड वेब पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सर्च इंजन है, जिसमे हर रोज तीस करोड़ से भी अधिक सर्च किये जाते हैं। गूगल के सर्च-रिजल्ट पेज का ऑर्डर "पेजरैंक" नामक पेटेंटेड प्रायोरिटी रैंक अल्गोरिद्म पर आधारित है।
गूगल सर्च का मुख्य उद्धेश्य वेब सर्वर पर सार्वजानिक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों में शब्दों की खोज करना है ना की डेटाबेस में उपलब्ध चित्र या डाटा खोजना। यह मूल रूप से 1997 में लेरी पेज और सर्गेइ ब्रिन द्वारा विकसित किया गया था।

बिंग भी एक वेब सर्च इंजन है जिसे पहले लाइव (Live) सर्च, विंडोज लाइव सर्च एवं एम.एस.एन. (MSN सर्च) के नाम से भी जाना जाता था। इसे "डिसीजन इंजन" के रूप में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विज्ञापित किया गया था। बिंग का अनावरण 28 मई 2009 को माइक्रो सॉफ्ट के सीईओ स्टीव बाल्बर द्वारा किया गया।

अगली बार मिलते है कुछ ऐसी ही जानकारीवर्धक पोस्ट के साथ।

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13 अक्टूबर 2018

वेब ब्राउज़र क्या हैं? लोकप्रिय ब्राउज़र कौनसे हैं?

About Browser
Popular Browser
नमस्कार मित्रों, स्वागत है आपका अपना अंतर्जाल पर। आज की पोस्ट में बताऊंगा ब्राउज़र और उसके प्रकार आज की पोस्ट उनके लिए है जो अभी इंटरनेट पर नए है, क्योंकि बाकि तो सभी जानते हैं की ब्राउज़र क्या है?

ब्राउज़र (Browser) एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो वर्ल्ड वाइड वेब पर कंटेंट को खोजने, प्राप्त करने (retrieve)एवं प्रदर्शित करने (display) में उपयोग में आती है, जैसे इमेजेज,वेब पेजेज, विडिओ कंटेंट्स आदि। एक क्लाइंट/सर्वर मॉडल की तरह, ब्राउज़र एक क्लाइंट की तरह काम करता है, जो यूजर के कंप्यूटर पर रन होता है। ब्राउज़र वेब सर्वर को संम्पर्क (कांटेक्ट) करके इन्फोर्मेशन रिक्वेस्ट करता है। उसके बाद वेब सर्वर इन्फोर्मेशन प्राप्त करके वापिस इन्फोर्मेशन वेब ब्राउज़र को भेज देता है, ब्राउज़र इस इन्फोर्मेशन को प्रोसेस करके कंप्यूटर पर डिस्प्ले कर देता है।

आज के ब्राउज़र अत्याधुनिक है एवं पुरी तरह से कार्यात्मक (fully functional) सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो वेब सर्वर पर होस्टेड वेब पेजेज, एप्लीकेशन, जावा स्क्रिप्ट एवं अन्य तरह के कंटेंट्स को प्रोसेस और प्रदर्शित कर सकते हैं। वेब ब्राउज़र एक यूजर इंटरफेस, लेआउट इंजन, रेंडरिंग इंजन, जावा स्क्रिप्ट इंटरप्रेटर, यूजर इंटरफेस बेक एंड, नेटवर्क एवं डाटा कम्पोनेंट्स से मिलकर बनता है।

अधिकांश प्रमुख वेब ब्राउज़र के यूजर इंटरफेस में कुछ समान अवयव होते हैं जिनके नाम अलग-अलग ब्राउज़र में अलग-अलग हो सकते हैं।

ये अवयव (एलेमेंट्स) निम्नलिखित हैं :

* पीछे और आगे के बटन्स (बैक व फोरवर्ड बटन्स) : क्रमश: पिछले या आगे के संसाधन में जाने के लिए।
* एक रिफ्रेश या रीलोड बटन, मौजूदा संसाधन (रिसोर्स पेज) को फिर से लोड करने के लिए।
* एक स्टॉप बटन, रिसोर्स लोडिंग रद्द करने के लिए। कुछ ब्राउज़रों में, स्टॉप बटन को रीलोड के साथ विलय कर दिया जाता है, मतलब जब आप रीलोड बटन को दबाते है तभी स्टॉप बटन दिखाई देता है स्टॉप करने के लिए।
* एक होम बटन, यूजर (उपयोगकर्ता) के मुख्य पृष्ठ (होमपेज) पर लौटने के लिए।
* एक एड्रेस बार जो वांछित संसाधन या पेज का यूनिफार्म रिसोर्स आइडेंटिफायर (Uniform Resource Identifier - URI) इनपुट करने में काम आती है।
* एक सर्च इंजन में इनपुट शब्दों के लिए एक सर्चबार। कुछ ब्राउज़रों में, सर्च बार को एड्रेस बार के साथ विलय कर दिया जाता है। 
* एक स्टेट्स बार जो संसाधन या पेज को लोड करने में प्रगतिं प्रदर्शन करती है, साथ में जूमिंग बटन्स भी होते हैं।
* व्यूपोर्ट, ब्राउज़र विंडो के अंदर वेबपेज के दृश्य क्षेत्र।
* एक पेज के लिए HTML सोर्स (स्रोत) को देखने की क्षमता।
* प्रमुख ब्राउजरों में एक वेब पेज के अंदर खोज करने के लिए इंक्रीमेंटल फाइंड फीचर भी होता है।
* अधिकतर ब्राउजर HTTP सिक्योर को सपोर्ट करते हैं और वेब कैश, डाउनलोड हिस्ट्री को नष्ट करने के लिए त्वरित और आसान तरीके प्रस्तुत करते हैं।

वर्तमान में दो सबसे ज्यादा लोकप्रिय ब्राउज़र है - माइक्रोसॉफ्ट इन्टरनेट एक्स्प्लोरर / माइक्रोसोफ्ट एज और गूगल क्रोम। अन्य प्रमुख ब्राउज़रों में मोजिला फायरफॉक्स, एप्पल सफारी और ओपेरा शमिल है। 
क्रोम ब्राउज़र को डिफॉल्ट ब्राउज़र के रूप में सेट रखना चाहिए क्योंकि यह गूगल आधारित अन्य सेवाओं के साथ सहज एकीकरण (सीमलेस इंटीग्रेशन) के कारण और अधिक सुविधाजनक बन जाता है। सभी ब्राउज़र के डाउनलोड लिंक नाम में ही है।

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12 अक्टूबर 2018

वेबसाइट क्या है? इसके कितने प्रकार है?

What is a website? How many types are it?
Website

नमस्कार मित्रों, स्वागत है आपका , पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा ब्लॉग क्या है? इ-कॉमर्स क्या है? क्लाउड स्टोरेज क्या है? यूआरएल क्या है? यदि आपने नही पढ़ा तो यहाँ क्लिक करे सभी पोस्ट एक ही जगह मिल जाएगी, आज आपको बताऊंगा वेबसाइट और उसके प्रकार के बारे में।

वेबसाइट क्या है?


एक वेबसाइट, वर्ल्ड वाइड वेब (www) फाइलों का एक सबंधित संग्रह है, जिसमे साथ में एक पेज भी होता है जिसे होमपेज कहते हैं। एक होमपेज वो पेज होता है जो किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करने पर सबसे पहले खुलता है। प्राय: कोई भी कम्पनी या एक व्यक्ति जिसकी वेबसाइट होती है वो आपको अपनी वेबसाइट के होमपेज का पता (एड्रेस) देता है क्योंकि होम पेज के द्वारा आप पूरी वेबसाइट को नेविगेट कर सकते हैं और किसी भी पेज पर पहुंच सकते हो।

वेबसाइट से कई कार्य किये जा सकते हैं, वेबसाइट किसी की निजी वेबसाइट भी हो सकती है या फिर एक वाणिज्यिक वेबसाइट हो सकती है, एक सरकारी वेबसाइट या एक गैर-लाभकारी संगठन वेबसाइट हो सकती है। वेबसाइट एक व्यक्ति, एक व्यापार या अन्य संगठन का काम हो सकता है, और आमतौर पर एक वेबसाइट एक विशेष विषय या उद्देश्य के लिए समर्पित होती है। किसी भी वेबसाइट पर किसी अन्य वेबसाइट के लिए एक हाइपरलिंक शामिल कर सकते हैं।

वेब पेजेज को अलग-अलग आकार की कंप्यूटर आधारित एवं इंटरनेट सक्षम डिवाइस के द्वारा देखा या एक्सेस किया जा सकता है, जैसे डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, पीडीए एवं मोबाइल फोन्स। एक वेबसाइट एक कंप्यूटर सिस्टम पर होस्ट किया जाता है जिसे वेब सर्वर कहते हैं, जिसे एचटीटीपी (HTTP) सर्वर भी कहा जाता है। HTTP के बारे में जानने के लिए ब्लॉग की पिछली पोस्ट पर जाएँ या यहाँ क्लिक करें।

वेबसाइट के प्रकार :

वेबसाइटों को व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

स्थिर (Static) : स्टेटिक साइटों की इन्फोर्मेशन स्थिर होती है एवं यूजर के संवाद (इंटरेक्शन) की अनुमति नहीं डी जाती है।

गतिशील (Dynamic) : डायनामिक साईट वेब 2.0 का हिस्सा है, और इस साईट के मालिक और साइट आगंतुकों के बीच संवाद के लिए अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए ब्लॉग डायनामिक वेबसाइट का रूप है।

आजकल अधिकांश कॉर्पोरेट वेबसाइट डायनामिक होती है जो बेहतर ग्राहक संवाद और उपभोक्ता व्यवहार की सटीक ट्रेकिंग में मदद करती है। 

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11 अक्टूबर 2018

युनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) और HTTP एवं HTTPS क्या है?

What is Uniform Resource Locator
What is Uniform Resource Locator

नमस्कार मित्रों , जय माता दी! नवरात्रा चल रहे हैं, इस समय मन काफी धर्मिक प्रवर्ती का हो जाता है पुरे वर्ष में ये 9 दिन बहुत ही अच्छे गुजरते हैं, दिमाग भी ताजा रहता है। पिछली कुछ पोस्ट में अपने जाना ब्लॉग क्या है? और उसके प्रकार, इ-कॉमर्स क्या है? और क्लाउड स्टोरेज क्या है?, आज आपको बताने जा रहा हूँ युनिफोर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) और HTTP तथा HTTPS के बारे में।

युनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL):

एक युनिफोर्म रिसोर्स लोकेटर (युआरएल) आमतौर पर एक वेब पते के रूप में जाना जाता है, एक वेब संसाधन का संदर्भ है, युआरएल एक कंप्यूटर नेटवर्क पर इसका स्थान पता लगाने के लिए और उसको प्राप्त करने के लिए जाता है। यूआरएल वेब पृष्ठों (HTTP) के संदर्भ (Reference) के लिए सबसे अधिक उपयोग किये जाते हैं, लेकिन यह डाटाबेस एक्सेस (JDBC) फ़ाइल स्थान्तरण (एफटीपी), ई-मेल के लिए भी उपयोग किया जाता है। अधिकांश ब्राउजर वेब पेज के यूआरएल को एड्रेस बार में प्रदर्शित करते हैं।

url system
url system
यूआरएल एक वेबसाइट, फ़ाइल या सामान्य प्रारूप में दस्तावेज के लिए एक इंटरनेट पता है;
http://www.address/directories/file name

इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर का अपना एक अनूठा यूआरएल होता है जिसके बिना दुसरे कंप्यूटर उस तक नहीं पहुंच सकते है। आमतौर पर एक यूआरएल को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है :

http://www.example.com/index.html

यह एक प्रोटोकोल (http), एक होस्ट नाम (www.example.com), और एक फ़ाइल नाम (index.html) इंगित करता है। TLDs (शीर्ष स्तर डोमेन) के कुछ उदाहरण सन्दर्भ नीचे साझा कर रहा हूँ ।

HTTP और HTTPS:

Top level domains
Top level domains
HTTP (हाइपर टेक्स्ट प्रोटोकॉल) वितरित, सहयोगी, Hypermedia सुचना प्रणाली के लिए एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल है। HTTP वर्ल्ड वाइड वेब के लिए डेटा संचार का आधार है। हाइपर टेक्स्ट संरचित टेक्स्ट होता है जो तार्किक लिंक (हाइपरलिंक) का उपयोग करता है। HTTP हाइपर टेक्स्ट का आदान-प्रदान या हस्तांतरण करने का प्रोटोकॉल है। क्लाइंट-सर्वर कम्प्यूटिंग मॉडल में एक अनुरोध-प्रतिक्रिया (request-response) प्रोटोकॉल के रूप में HTTP कार्य करता है। 

HTTP का उपयोग कर एक कंप्यूटर नेटवर्क पर सुरक्षित संचार के लिए प्रोटोकॉल HTTPS (HTTP Secure) है। HTTPS का संचार HTTP पर होता है पर इसमें कनेक्शन ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरटी या सिक्योर सॉकेट लेयर द्वारा एन्क्रिप्टेड होता है।  HTTPS के लिए मुख्य प्रेरणा वेबसाइट के प्रमाणीकरण, गोपनीयता की सुरक्षा और डेटा के आदान-प्रदान की अखंडता है। यह विशेष एवं व्यापक रूप से उन इंटरनेट वेबसाइटों के लिए उपयोग लिया जाता है जहाँ पर वित्तीय लेन-देन होता है या फिर डेटा को गोपनीय रखने की जरूरत होती है।

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10 अक्टूबर 2018

क्लाउड स्टोरेज क्या है? और प्रचलित सर्विस कौनसी है?

What Is Cloud Storage
Cloud Storage

नमस्कार मित्रों, स्वागत है आपका अपना अंतर्जाल पर, पिछली पोस्ट में आप जान चुके हैं ब्लॉग क्या है? और इ-कॉमर्स क्या है? आज जानेंगे क्लाउड स्टोरेज के बारे में।

क्लाउड स्टोरेज :

क्लाउड स्टोरेज एक तरीके का सर्विस मॉडल है जहाँ डाटा, यूजर को नेटवर्क के माध्यम से प्रदान किया जाता है और डाटा को रिमोटली ही मैनेज, सार-संभाल और बैकअप लिया जाता है।क्लाउड स्टोरेज, डाटा स्टोरेज का एक मॉडल है, जहाँ डिजिटल डाटा लॉजिकल पूल में स्टोरेज किया जाता है। फिजिकल डाटा वातावरण को एक होस्टिंग कम्पनी सम्भालती है। यह इन कंपनियों की जिम्मेदारी है की फिजिकल वातावरण सुचारू रूप से चलता रहे, डाटा हमेशा उपलब्ध रहे और सुरक्षित रहे। ग्राहक और कम्पनियां अपना डाटा या एप्लीकेशन को स्टोर करने के लिए इस डाटा सर्विस को खरीद सकते हैं।

क्लाउड स्टोरेज को पास में रखे हुए कंप्यूटर, वेब एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) या इस API का इस्तेमाल करने वाली एप्लीकेशन, जैसे की क्लाउड डेस्कटॉप स्टोरेज, क्लाउड स्टोरेज गेटवे या वेब आधारित कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है। साधारण भाषा में समझे तो क्लाउड स्टोर अपने लिए ऑनलाइन हार्ड डिस्क की तरह है वहां हम कंप्यूटर की तरह डाटा सेव कर सकते हैं, और जब चाहे जहा चाहे उस 
डाटा को इस्तेमाल कर सकते है, बस आपका इंटरनेट ऑन होना चाहिए।

कुछ प्रचलित क्लाउड स्टोरेज सर्विस :

Cloud Storage Service
Cloud Storage Service

* गूगल ड्राइव - गूगल क्लाउड, स्टोरेज के साथ ऑफिस टूल भी प्रदान करता है। इसमें वर्ड प्रोसेसर, स्प्रेडशीट, प्रजेंटेशन बिल्डर और 15 गीगाबाईट (GB) का स्टोरेज स्पेस मिलता है। अगर आपके पास गूगल अकाउंट है, तो आप आसानी से गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस 15 गीगाबाईट स्टोरेज में आप डाक्यूमेंट्स, चित्र, फोटोशोप फ़ाइल, पीडीएफ फ़ाइल इत्यादि अपलोड कर सकते हैं।

* माइक्रोसॉफ्ट वन ड्राइव - यह माइक्रोसॉफ्ट का उत्पाद है, जो विंडोज 8 या विंडोज 10 इस्तेमाल करते हैं, उनको वन ड्राइव विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में सम्मिलित मिलता है। हालाँकि इसका मतलब ये नही की विंडोज 7 या विंडोज xp वाले इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते आपको बस माइक्रोसॉफ्ट वन ड्राइव की डेस्कटॉप एप डाउनलोड करनी होगी, एंड्राइड के लिए भी प्ले स्टोर से एप इनस्टॉल करनी होगी अगर विंड़ोज फोन है तो भी 
आप एप इनस्टॉल करके इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

* ड्राप बॉक्स - यह मेरा सबसे पसंदीदा क्लाउड स्टोरेज है क्योंकि इसका इंस्टालेशन आसान है, यह भरोसेमंद है और इस्तेमाल करने में भी एकदम आसान है। इसको इस्तेमाल करने के लिए आप इस पर अपनी id बनाकर इसकी एप डाउनलोड कर लें, आपके कंप्यूटर में इसका एक अलग फोल्डर बन जायेगा, अब जो फाइल आप क्लाउड स्टोरेज में रखना चाहते है वो फाइल उस फोल्डर में कॉपी कर दे और भूल जाएँ, आप अपना कोई भी काम जारी रखें इंटरनेट ऑन होते ही बैकग्राउंड में ये एप चलती रहती है और आपकी फ़ाइल अपलोड होती रहती है। ड्रापबॉक्स में रखी फ़ाइल आप कहीं से भी एक्सेस कर सकते है इसके लिए आपको ड्रापबॉक्स की वेबसाइट पे जाकर लॉग इन (Log in) करना होगा। यह विंडोज, मैक, एंड्राइड और लिनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध है।

* बॉक्स - ये भी एक चर्चित क्लाउड सर्विस है , बॉक्स पर व्यक्तिगत मुफ्त अकाउंट के लिए कोई भी साइन अप (Sign UP) कर सकता है। इसकी खास बात ये है की जहाँ दुसरे क्लाउड स्टोरेज सिर्फ फ़ाइल स्टोरेज की सुविधा देते हैं वहीं बॉक्स में आप फ़ाइल दुसरे यूजर के साथ शेयर कर सकते हैं, किसी को काम दे सकते हैं और फ़ाइल में हुए बदलाव की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

क्लाउड स्टोरेज में विभिन प्रकार की डिवाइस पर आपका कार्य/फ़ाइल को सिंक्रोनाइज करने की लचीली सुविधा प्रदान करता है। अधिकतर सभी मुख्य क्लाउड स्टोरेज प्लेटफार्म ऑफिस एप्लीकेशन टूल्स को अंतर्निहित इनस्टॉल रखते हैं जिसकी वजह से आप अपनी फाइल्स को कहीं से भी क्रिएट, एडिट,  ड्राफ्ट व पब्लिश कर सकते हैं।

इन सभी क्लाउड स्टोरेज के लिंक नाम में ही है।

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09 अक्टूबर 2018

इ-कॉमर्स क्या है? पुरी जानकारी मिलेगी यहाँ।

What is e-commerce
इ-कॉमर्स 
नमस्कर मित्रों , आज जानेगे इ-कॉमर्स क्या है और इसके प्रकार और उपयोग के बारे में आजकल इ-कॉमर्स का प्रचलन अधिक है तो सोचा क्यों ना इस पर एक पोस्ट हो जाए।

इ-कॉमर्स (इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स) :
किसी भी समान को इलेक्ट्रोनिक माध्यम (मुख्य रूप में इंटरनेट) से खरीदा या बेचा जाये उसे इ-कॉमर्स कहते हैं। ऑनलाइन रिटेल बहुत आरामदायक होता है क्योंकि एक तो वह 24 घंटे उपलब्ध रहता है, वैश्विक स्तर पर उपलब्ध होता है और आमतौर पर अच्छी ग्राहक सेवा प्रदान करता है।

ई-कॉमर्स व्यपार में निम्नलिखित विशेषताएं होती है :

* ऑनलाइन शौपिंग साईट, खुदरा बिक्री -सीधे ग्राहक के लिए।
* बेचने वाला ऑनलाइन बाजार (मार्केटप्लेस) में भाग ले सकता है जो की व्यापार ग्राहक, या ग्राहक - ग्राहक बेचने का माध्यम प्रदान करता है।
* व्यापार - व्यापार (Business 2 Business) खरीदना और बेचना। 
* डेमोग्राफी डाटा को एकत्रित करना (सोशल मिडिया और वेब कॉन्टेक्ट्स द्वारा)
* B2B इलेक्ट्रोनिक डाटा एक दुसरे से आदान-प्रदान करना।
* ईमेल और फेक्स के द्वारा क्लाइंट्स और सबंधित ग्राहकों को पाने के लिए मार्केटिंग करना (उदाहरण के लिए - समाचार पत्र)

इ-कॉमर्स के प्रकार :

* प्योर (pure)-क्लिक या प्योर-प्ले संस्थाएं - जिन्होंने बिना किसी पुरानी चल रही संस्था के, बस एक साईट शुरू कर दी है।
* बिक्र-एंड-क्लिक संस्थाएं - वह चल रही संस्था होती है जिसने इ-कॉमर्स के लिए साइट लांच की है।
* क्लीक-टू-बिक्र संस्था - यानी ऑनलाइन विक्रेता जिसने बाद में कुछ जगहों पर दुकान खोली हो।

कई प्रकार की इ-बिक्री हो सकती है, जैसे :

* व्यापार से ग्राहक (Business 2 Consumer) -: कम्पनी सीधे अपना समान उपभोगकर्ता को बेचती है। B2C वेब शॉप्स आमतौर पर सभी विसिटर्स के लिए खुली होती है। उदाहरण है  अमेजोन

* व्यापार से प्यापार (Business 2 Business) -: कम्पनी बिना सीधे ग्राहक को बेचे, सीधे दुसरी कम्पनी को सामान बेचती है। इनके ऑनलाइन साईट पर लॉग इन करना पड़ता है। इस प्रकार की साइट्स पर आमतौर पर ग्राहक के हिसाब से दाम, डिस्काउंट और माल की छंटनी होती है। उदाहरण है अलीबाबा

* ग्राहक से व्यापार (Consumer 2 Business) -: यहाँ ग्राहक अपना सामान ऑनलाइन बेचने के लिए लगा देता है जहाँ कम्पनी बोली लगा सकती है। ग्राहक इन बोलियों को देख सकता है और अपने हिसाब से कम्पनी चुन कर माल बेच सकता है।

* ग्राहक से ग्राहक (Consumer 2 Consumer) -: ग्राहक अपने माल को दुसरे ग्राहक को बेचता है इसका बेहतरीन उदाहरण है ईबाय

* मोबाईल कॉमर्स (mCommerce) -: मोबाइल या पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (PDA) के द्वारा माल को खरीदने या बेचने को मोबाइल कॉमर्स कहते हैं। अगली पीढ़ी कही जाने वाले इस इ-कॉमर्स में यूजर को इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए किसी प्लग में तार नहीं लगाना पड़ता।

इ-कॉमर्स की सबसे सबसे बड़ी विशेषता है बिना किसी ज्यादा फाइनेंसियल इन्वेस्टमेंट के उसका वैश्विक होना, इस तरह के कॉमर्स के लिए कोई जमीनी बाध्यता नहीं है। ग्राहक वैश्विक तौर पे चुन सकते है, सभी बेचने वालों की तुलना कर सकते हैं बिना उनकी वर्तमान भौगोलिक स्थिति के। सीधे ग्राहक को कम्पनी से मिला देने के गुण से इ-कॉमर्स ने बिचोलियों के लिए कोई काम नहीं छोड़ा है, कुछ जगह है भी तो काफी कम। इस प्रकार कम्पनी और ग्राहक के बीच सीधा तार जुड़ जाता है, जिससे कम्पनी ग्राहक को उसके उत्पाद और सर्विस प्रदान कर सकती है। 

इ-कॉमर्स कम्पनी ग्राहक को बेहतर उत्पाद, बेहतर आफ्टर-सेल्स-सर्विस देती है जो ग्राहक को और करीब ले आता है। इससे प्रतिस्पर्धा भी बढती है। कीमत में आकर्षक कमी, इ-कॉमर्स की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, इ-कॉमर्स नए तरीकों से ग्राहकों के पास एक 24 घंटे खुला रहने वाला वर्चुअल स्टोर बन गया है।

इ-कॉमर्स के प्रयोग : सबसे प्रचलित इ-कॉमर्स एप्लीकेशन है:

खुदरा एवं थोक व्यापार : खुदरा और व्यापार में इ-कॉमर्स के कई इस्तेमाल है। इ-रिटेलिंग या ऑनलाइन रिटेल, व्यापार से ग्राहक को माल इलेक्ट्रोनिक कैटेलोग और शौपिंग कार्ट मॉडल के माध्यम से बेचना है। एक साइबर मॉल या इ-मार्केटप्लेस ग्राहक और सेलर को एक वर्चुअल स्पेस में (एक वेब ब्राउज़र के द्वारा)आकर्षित करते हैं।

प्रचार : ग्राहक के व्यवहार, जरूरत और खरीदने के तरीके की जानकारी वेब और इ-कॉमर्स द्वारा जुटाई जा सकती है। यह प्रचार कार्यों जैसे कीमत तय करना, मोल-भाव करना, उत्पाद के फीचर में बदलाव एवं ग्राहक के साथ सम्बन्धों में मदद करता है।

फाइनेस : इस प्रकार की कम्पनिया इ-कॉमर्स का काफी उपयोग करती है। ग्राहक समस्त सेवाएं जैसे खाते का बैलेंस चेक करना, पेमेंट ट्रांसफर करना, अपने बिल जमा करना इ-बैंकिंग या ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से आसानी से कर सकते है। इ-कॉमर्स का एक अन्य उपयोग ऑनलाइन स्टॉक लें-देंन भी है। काफी साइट्स कम्पनियों के प्रोफाइल एवं उसके स्टॉक/शेयर के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाती है।

मेन्युफैक्चरिंग : इ-कॉमर्स किसी कम्पनी के माल ढुलाई के सिस्टम को भी सम्भाल लेता है। कुछ कम्पनिया एक प्रकार का इलेक्ट्रोनिक एक्सचेंज बना लेती है। इसमें सम्मिलित होता है माल का खरीदना-बेचना, व्यापार मार्केटिंग की जानकारी, कार्यालय की जानकारी जैसे इन्वेंटरी कंट्रोल, कच्चा माल एवं तैयार माल की ढुलाई प्रोसेस इस प्रकार से तेज हो जाती है।

बोली (ऑक्शन) : ग्राहक-ग्राहक  इ-कॉमर्स माल के सीधे सीधे ग्राहकों के बीच बेचने को कहते हैं। इसमें इलेक्ट्रोनिक बोली भी शामिल है। बिडिंग एक प्रकार की बोली है जिसमे संभावित ग्राहक माल के लिए ऑनलाइन बोली लगा सकता है।

ऑनलाइन शौपिंग साइट्स :

online shopping
online shopping

आजकल लोगों के पास समय की कमी है और वह अपने काम में अधिक व्यस्त हो गये हैं। किसी अन्य काम के लिए बहुत ही कम समय बचता है और ऐसे में ऑनलाइन शौपिंग ही उनके लिए अच्छा माध्यम बनाता है। स्मार्टफोन के आने से इंटरनेट का उपयोग सरल हो गया है जिससे ऑनलाइन शौपिंग और भी ज्यादा प्रचलित हो गयी है। हिंदुस्तान की कई ऑनलाइन शौपिंग साइट्स इस प्रकार प्रचलित हो गयी है जो ग्राहकों को लुभावने ऑफर देकर आकर्षित करती है।
ऑनलाइन शौपिंग एक तेज, किफायती, आसान और मजेदार अनुभव प्रदान करता है। इसमें खूबियाँ जैसे 24 घंटे शौपिंग, डिस्काउंट कूपन के साथ शौपिंग, घर बैठे शौपिंग, अच्छी गुणवता के उत्पाद इत्यादि।

हिंदुस्तान की प्रमुख ऑनलाइन शौपिंग साइट्स:

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* फ्लिप्कार्ट.कॉम (अप म्यिन्त्रा के भी मालिक) : 2004 में लगभग 4 लाख रूपये से शुरू, आज 60000 करोड़ रु. का सालाना टर्नओवर, यह एक मार्किटप्लेस है जहाँ किताबों से लेकर इलेक्ट्रोनिक्स, कपड़े, जूते आदि सब कुछ खरीद सकते हैं। यह हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी साईट है।

* अमेजन.इन : यह दुनियाभर में इ-कॉमर्स में अवल्ल है। अब हिंदुस्तान में भी अपने व्यापार को चालू कर दिया है। इस साईट पर सभी प्रकार का सामान किफायती दरों में उपलब्ध है।

* स्नैपडील.कॉम : यह साईट आस पड़ोस के उत्पाद एवं सर्विसेज जैसे मसाज, भ्रमण और रेस्तरा पर बेहतरीन ऑफर देती है। यह साईट अच्छी कीमत और मुफ्त कुरियर सेवा देती है।

* पेटिएम.कॉम : इसकी शुरुआत मोबाइल इ-वॉलेट के द्वारा मोबाइल रिचार्ज, बिल भुगतान आदि से शुरू हुई थी। अब ये साईट एक सम्पूर्ण मार्किटप्लेस की तरह सब कुछ बेच रही है। इसकी कम कीमत, इ-वॉलेट के बेहतरीन उपयोग के कारण इस साईट ने बहुत ही कम समय में शीर्ष दस साइट्स में अपनी जगह बना रखी है ।

* जबोंग.कॉम : यह एक फैशन स्टोर है जो की हर आइटम पर अच्छा डिस्काउंट प्रदान करवाता है। कपड़ों और घर की साज-सज्जा के सामान का बेहतरीन संग्रह इस साईट पे मिलता है।

मित्रों ये थी इ-कॉमर्स से जुडी जानकारी, सभी शौपिंग साइट्स के लिंक नाम में ही है, अगले लेख में बताऊंगा क्लाउड स्टोरेज के बारे में।


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08 अक्टूबर 2018

ब्लॉग क्या है? इसके कितने प्रकार है?

ब्लॉग क्या है?
ब्लॉग क्या है?

नमस्कार मित्रों, आज बात करते हैं ब्लॉग के बारे में, इस आलेख में जानेंगे की ब्लॉग क्या है? ब्लॉग किसे कहते हैं? और ब्लॉग के कितने प्रकार होते हैं?

एक ब्लॉग, जानकारी या चर्चा हेतु तेयार की गयी वेबसाइट है जो की डिस्क्रिट प्रविष्ठियां (अलग-अलग), जिन्हें पोस्ट भी कहा जाता है, से मिलकर बनी होती है तथा जो आमतौर पर रिवर्स क्रानिकल यानि जो पोस्ट हाल ही में की गई है वो पोस्ट सबसे ऊपर के रूप में दिखाई जाती है।

सन 2009 तक ब्लॉगस आमतौर पर एक ही व्यक्ति का काम होता था, कभी कभार इसे एक समूह वाले, एक ही विषय पर वार्तालाप करने के लिए उपयोग में लेते थे, अभी हाल ही में बहुत से बहु लेखक ब्लॉग (मल्टी ऑथर ब्लॉग) विकसित हुए हैं। जिनमे बहुत से लेखकों द्वारा पोस्ट लिखी जाती है तथा पेशेवरों द्वारा संपादित की जाती है।

समाचार पत्रों के पेशेवर, अन्य मिडिया के आउटलेट्स, विश्वविद्यालयों के विचारक समूह, वकालत समूह इत्यादि की उपस्थिति तथा योगदान की वजह से ब्लॉग ट्रैफिक लगातार बढ़ रहा है। ट्विटर एवं अन्य माईक्रोब्लोगिंग सिस्टम ब्लॉगस को संगठित कर नयी धारणाओं में एकीकृत करने में मदद करते हैं।

अधिकांश ब्लॉग इंटरेक्टिव होते हैं जो आगुन्तकों को अपने विचार संदेश ब्लॉग से जीयुआई(GUI) के माध्यम से छोड़ने की अनुमति देते हैं। यही अंतर क्रियाशीलता (इंटरेक्टिव) ब्लॉग को दुसरी स्टेटिक (स्थिर) वेबसाइटों से अलग पहचान दिलाता है।

कई ब्लॉग एक विशेष विषय पर कमेंट्री पेश करते हैं। कुछ ब्लॉग ऑनलाइन डायरी की तरह कार्य करते हैं, तो कुछ ब्लॉग किसी विशेष व्यक्ति या संगठन के ब्रांड व विज्ञापन की तरह कार्य करते हैं। एक टिपिकल ब्लॉग में अक्षर, चित्र एवं दुसरे ब्लॉग से जुड़ने की व्यवस्था एवं अन्य विषय पर आधारित मिडिया को जोड़ने का कार्य करते हैं।

ब्लॉग के प्रकार :

ब्लॉग कई प्रकार के होते हैं, उनके प्रकार केवल उनकी सामग्री (कंटेंट) के आधार पर नहीं बल्कि उन्हें किस प्रकार प्रस्तुत किया जाना है या लिखा जाना है, पर भी निर्भर करते हैं।

ब्लॉगस के विभिन्न प्रकार को नीचे वर्गीकृत किया गया हैं:

1. व्यक्तिगत ब्लॉग (Personal Blog) : इस प्रकार के ब्लॉग में एक व्यक्ति की व्यक्तिगत चालू डायरी या कमेंट्री होती है, अधिकतर लोग ऑनलाइन डायरी लिखने के शौक़ीन होते हैं वो इसी प्रकार में आता है।

2. सहयोगात्मक ब्लॉग अथवा ग्रुप ब्लॉग (Collaborative Blog Or Group Blog) : यह वह ब्लॉग है जिसमें पोस्ट एक या एक से अधिक लेखकों द्वरा प्रकाशित होती है। ज्यादातर हाई-प्रोफाइल सहयोगात्मक ब्लॉग एक थीम के चारों और आधारित होती हैं जैसे की राजनीती, बॉलीवुड  या नयी तकनीक इत्यादि।

3. माइक्रोब्लोगिंग (Micro Blogging) : माइक्रोब्लोगिंग डिजिटल जानकारियों को छोटे-छोटे हिस्सों में प्रदर्शित करने का तरीका है जो पाठ, चित्र, लिंक एवं अन्य मिडिया के रूप में जो इंटरनेट पर उपलब्ध है। माइक्रो ब्लोगिंग एक पोर्टेबल संचार व्यवस्था है जिसे कई लोगों ने जैविक और सहज महसूस कर सार्वजनिक कल्पना का दर्जा हासिल करा लिया है जैसे ट्विटर और फेसबुक

4. कॉर्पोरेट ब्लॉग (Corporate Blog) : एक ब्लॉग प्राइवेट या बिजनस कार्य के लिए भी बनाया जा सकता है। बिजनस में आपसी संवाद बढ़ाने या फिर मार्केटिंग, ब्रांडिंग, और पब्लिक रिलेशन को बेहतर करने के काम आता है।

5. अग्रीग्रेटेड ब्लॉग (Aggregated Blog) : इस तरह के ब्लॉग में ऑर्गेनाइजेशन या व्यक्तिगत तौर पर कुछ लोग एक विषय पर जानकारी एकत्रित करके पाठकों को संयुक्त जानकारी उपलब्ध करवा सकते हैं। इससे पाठक अपने मनपसन्द विषय को पढने में समय लगा सकता है, न की व्यर्थ की जानकारी को जुटाने में।  हिंदी अग्रीग्रेटेड ब्लॉग उदाहरण : हमारीवाणी, ब्लोग्वार्ता, ब्लोग्सेतुचर्चामंच आदि।

6. Genre ब्लॉग : इस श्रेणी में वह ब्लॉग आते हैं जो किसी टॉपिक पर केन्द्रित होते हैं जैसे - राजनेतिक, स्वास्थ्य, फैशन, किताबें, तकनीक, आदि। आजकल कैसे करें? आदि के ब्लॉगस काफी प्रचलित हो रहे हैं। जिसमे दो आम प्रकार के ब्लॉग है - आर्ट ब्लॉग एवं म्यूजिक ब्लॉग।

7. मिडिया टाइप पर आधारित ब्लॉग : इस प्रकार के ब्लॉग में जिस ब्लॉग में विडिओ होते है उस ब्लॉग को व्लॉग (Vlog) कहते हैं, लिंक्स वाले ब्लॉग को लिंक्लोग (Linklog) कहते है। जिस ब्लॉग पर स्केच होते हैं उसे स्केचब्लॉग और जिसमे चित्र होते हैं उसे फोटोब्लॉग कहते हैं।

8. डिवाइस टाइप पर आधारित ब्लॉग : इस प्रकार के ब्लॉग का प्रकार लिखे गये उपकरणों के आधार पर किया जाता है। जैसे PDA अथवा मोबाइल से लिखे गये ब्लॉग को मोब्लॉग कहते हैं।

तो मित्रों ये थे ब्लॉग के प्रकार, अगर आप भी अपना ब्लॉग बनाना चाहते है तो सबसे पहले सही श्रेणी इस्तेमाल करें ताकि आपके ब्लॉग के टैरिफ पर प्रभाव ना पड़ें या यूँ कहें की गूगल आपके ब्लॉग को अनदेखा ना करें।

फ्री में आप ब्लॉग बना सकते है इंटरनेट पर तीन सबसे चर्चित फ्री सेवा है वर्डप्रेस, ब्लागस्पाट (जो की गूगल की सेवा है) और टम्बलर, आप अपने पसंद के हिसाब से इन पर अपना ब्लॉग बना सकते हैं।

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