नमस्कार दोस्तों, हम मे से कोई भी जब सिस्टम अपग्रेड की बात सोचते हैं तो माउस के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देते। ज्यादातर यूज़र तो ये समझते हैं की सभी माउस एक जैसे ही होते हैं। लेकिन हकीकत में ये एकदम अलग है। माउस सबसे ज्यादा इतेमाल किये जाने वाला हार्डवेयर है, इसलिए जब भी नया खरीदने की सोचें तो तो ध्यान रखें की अच्छा माउस आपके काम और गेमिंग को ना केवल बेहतर बनाएं बल्कि आपकी कलाई और अँगुलियों के लिए भी आरामदायक हो।
नया माउस लेने से पहले इसके प्रकार, फीचर्स और इस्तेमाल से जुडी पूरी जानकारी आपको सही माउस लेने में मदद करेगी।
1. साइज़ - माउस अधिकतर 2 साइज़ में उपलब्ध होते हैं। फुल और ट्रैवल साइज़। ट्रैवल माउस उनके लिए सबसे सुविधाजनक होता है जिनकी हथेली छोटी होती है, इसे आप ट्रैवल में काम में लो या घर पे, वहीं दुसरी और ट्रैवल करने वालों के लिए फुल साइज़ माउस बेहतर होगा क्योंकि खराब फिटिंग वाला माउस आपको काम करते समय परेशनी में डाल सकता है।
2. वायरलेस या वायर्ड माउस - अगर आप वायर की समस्या से दूर रहना चाहते हैं तो आपके लिए वायरलेस माउस बेहतर विकल्प होगा। बस इसमें बैटरी खत्म होने की समस्या बनी रहती है। कुछ वायरलेस माउस ऑन-ऑफ़ बटन के साथ आते हैं तो कुछ चार्जिंग डॉक के साथ। इसके लिए काम पूरा होने पे इसे ऑफ या चार्जिंग डॉक में रखने की आदत डालनी पड़ेगी। अक्सर ट्रैवल करने वालों के लिए वायरलेस माउस उपयोगी है, वायर्ड माउस में आप स्क्रीन से उतना दूर ही रह सकते है जितनी इसकी वायर होती है। इसलिए आपके सुविधानुसार इनमे से चुने।
वायरलेस माउस का एक उदाहरण |
3. लेजर या ऑप्टिकल माउस - माउस हमेशा 'डॉट्स पर इंच' (DPI) के हिसाब से ट्रेकिंग करता है। ऑप्टिकल माउस 400 से 800 डीपीआई के बीच और लेजर माउस आमतौर पर 2000 डीपीआई से ज्यादा ट्रैक कर सकता है। ऑप्टिकल माउस रोजमर्रा की जरूरत में और लेजर माउस गेमर्स और ग्राफिक डिजाईन करने वालों के लिए बेहतर है।
4. बटन - कुछ माउस में मिडल स्क्रोल व्हील के अलावा और भी बटन होते हैं जो साइड में लगे होते हैं, ये किसी विशेष फंक्शन के लिए काम आते हैं। ये उन यूजर्स के लिए कभी सहायक है जिन्हें एक ही तरह के प्रोग्राम पर लगातार काम करना हो।
स्पेशल बटन माउस का एक उदाहरण |
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-09-2018) को "चाहिए पूरा हिन्दुस्तान" (चर्चा अंक-3103) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंvery nyc ifo, i like it.
जवाब देंहटाएंयह जानकारी कई लोगों के काम आएगी। आभार।
जवाब देंहटाएंvery useful for all
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